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    भोजन से पहले जरूर करें इस चमत्कारी मंत्र का जाप, कभी खाली नहीं होगा अन्न भंडार

    By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo Mishra
    Updated: Thu, 27 Jul 2023 07:30 AM (IST)

    सनातन धर्म में कई ऐसी परंपराएं हैं जिनका पालन प्राचीन काल से किया जा रहा है। उन्हीं में से एक है भोजन ग्रहण करने से पूर्व माता अन्नपूर्णा को स्मरण कर उनके मंत्रों का जाप करना। मान्यता है कि खाने से पहले देवी-देवताओं को करने से जीवन में पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव में वृद्धि होती है और देवी-देवता प्रसन्न रहते हैं।

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    Mata Annapurna Mantra: पढ़िए माता अन्नपूर्णा को समर्पित प्रभावशाली मंत्र।

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क । Mata Annapurna Mantra: सनातन धर्म में कई ऐसी परंपराएं हैं, जिनके विषय में शास्त्रों में विस्तार से बताया गया है। कुछ ऐसी भी परंपराएं हैं, जिनका सीधा संबंध मनुष्य के विकास से जुड़ा हुआ है। इनमें से एक है, भोजन ग्रहण करने से पूर्व मां अन्नपूर्णा को स्मरण करना और उनके मंत्र का जाप करना। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भोजन से पहले मां अन्नपूर्णा को समर्पित मंत्र का जाप करने से माता प्रसन्न होती है और जीवन में सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है।

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    बता दें कि हमारे घर में मंदिर के उपरांत रसोईघर को सबसे पवित्र स्थान माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां माता लक्ष्मी एवं मां अन्नपूर्णा वास करती हैं। इसलिए रसोई घर में बने भोजन को ग्रहण करने से पहले देवी अन्नपूर्णा को धन्यवाद देना उनके स्मरण करना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। मान्यता है कि ऐसा करने से आहार की पौष्टिकता बढ़ती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। आइए पढ़ते हैं मां अन्नपूर्णा को समर्पित मंत्र जिससे प्राप्त होती है सुख-समृद्धि।

    भोजन से पहले करें इस मंत्र का जाप

    1. ॐ सह नाववतु, सह नौ भुनक्तु, सह वीर्यं करवावहै ।

    तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै ।।

    ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ।।

    2. अन्नपूर्णे सदा पूर्णे शंकरप्राणवल्लभे ।

    ज्ञान वैराग्य-सिद्ध्‌यर्थं भिक्षां देहिं च पार्वति ।।

    माता च पार्वती देवी पिता देवो महेश्वरः।

    बान्धवाः शिवभक्ताश्च स्वदेशो भुवनत्रयम्‌ ।।

    भोजन के उपरांत करें इस मंत्र का जाप

    अगस्त्यम कुम्भकर्णम च शनिं च बडवानलनम।

    भोजनं परिपाकारथ स्मरेत भीमं च पंचमं ।।

    अन्नाद् भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसंभवः।

    यज्ञाद भवति पर्जन्यो यज्ञः कर्म समुद् भवः।।

    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।