Masik Shivratri के दिन करें इस स्तोत्र का पाठ, रिश्ते होंगे मजबूत और डर से मिलेगा छुटकारा
धार्मिक मान्यता के अनुसार मासिक शिवरात्रि (Magh Masik Shivratri 2025 Date) के शुभ अवसर पर महादेव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामना पूरी होती है और पूजा का पूरा फल मिलता है। साथ ही सच्चे मन से व्रत करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस दिन विशेष चीजों का दान भी जरूर करना चाहिए।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पंचांग के अनुसार, माघ माह में मासिक शिवरात्रि 27 जनवरी को है। इस दिन महादेव की पूजा-अर्चना और व्रत करने से विवाह में आ रही बाधा से छुटकारा मिलता है। साथ ही जल्द विवाह के योग बनते हैं। साथ ही रिश्ते मजबूत होते हैं। अगर आप भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो मासिक शिवरात्रि के दिन शिव मृत्युंजय स्तोत्र का पाठ करें। इसका पाठ करने से जीवन खुशहाल होता है और धन की कमी नहीं होती है।
॥ शिव मृत्युंजय स्तोत्र॥
रत्नसानुशरासनं रजताद्रिश्रृंगनिकेतनं
शिञ्जिनीकृतपन्नगेश्वरमच्युतानलसायकम्।
क्षिप्रदग्धपुरत्रयं त्रिदशालयैरभिवंदितं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥
पंचपादपपुष्पगन्धिपदाम्बुजद्वयशोभितं
भाललोचनजातपावकदग्धमन्मथविग्रहम्।
भस्मदिग्धकलेवरं भवनाशिनं भवमव्ययं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥
मत्तवारणमुख्यचर्मकृतोत्तरीयमनोहरं
पंकजासनपद्मलोचनपूजितांगघ्रिसरोरुहम्।
देवसिद्धतरंगिणी करसिक्तशीतजटाधरं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥
कुण्डलीकृतकुण्डलीश्वरकुण्डलं वृषवाहनं
नारदादिमुनीश्वरस्तुतवैभवं भुवनेश्वरम्।
अंधकान्तकमाश्रितामरपादपं शमनान्तकं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥
यक्षराजसखं भगाक्षिहरं भुजंगविभूषणं
शैलराजसुतापरिष्कृतचारुवामकलेवरम्।
क्ष्वेडनीलगलं परश्वधधारिणं मृगधारिणं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥
भेषजं भवरोगिणामखिलापदामपहारिणं
दक्षयज्ञविनाशिनं त्रिगुणात्मकं त्रिविलोचनम्।
भुक्तिमुक्तिफलप्रदं निखिलाघसंघनिबर्हणं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥
भक्तवत्सलमर्चतां निधिमक्षयं हरिदम्बरं
अगर आप वैवाहिक जीवन में खुशियों का आगमन चाहते हैं, तो मां पार्वती को सोलह श्रृंगार का सामान अर्पित करें। इस उपाय को करने से वैवाहिक जीवन हमेशा खुशियों से भरा रहता है।
सर्वभूतपतिं परात्परमप्रमेयमनूपमम्।
भूमिवारिनभोहुताशनसोमपालितस्वाकृतिं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥
विश्वसृष्टिविधायिनं पुनरेव पालनतत्परं
संहरन्तमथ प्रपंचमशेषलोकनिवासिनम्।
क्रीडयन्तमहर्निशं गणनाथयूथसमाव्रतं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥
रुद्रं पशुपतिं स्थाणुं नीलकण्ठमुमापतिम्।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति॥
कालकण्ठं कलामूर्तिं कालाग्निं कालनाशनम्।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति॥
नीलकण्ठं विरुपाक्षं निर्मलं निरूपद्रवम्।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति॥
वामदेवं महादेवं लोकनाथं जगद्गुरुम्।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति॥
देवदेवं जगन्नाथं देवेशमृषभध्वजम्।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति॥
इसके अलावा मासिक शिवरात्रि के दिन अन्न और धन समेत आदि चीजों का दान करें। इससे जीवन में किसी भी चीज की कमी नहीं होती है और महादेव की कृपा से अन्न और धन के भंडार भरे रहते हैं।
अनन्तमव्ययं शान्तमक्षमालाधरं हरम्।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति॥
आनन्दं परमं नित्यं कैवल्यपदकारणम्।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति॥
स्वर्गापवर्गदातारं सृष्टिस्थित्यन्तकारिणम्।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति॥
॥ इति श्रीपद्मपुराणान्तर्गत उत्तरखण्डे श्रीमृत्युञ्जयस्तोत्रं सम्पूर्णम्। ॥
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