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    Mangalwar Puja: मंगलवार को इस विधि से करें हनुमान जी की आरती, सभी मुरादें होंगी पूरी

    Updated: Tue, 01 Oct 2024 07:30 AM (IST)

    सनातन धर्म में मंगवलार का दिन जीवन के संकटों को दूर और जीवन को खुशहाल बनाने के लिए उत्तम माना जाता है क्योंकि मंगवलार के दिन हनुमान जी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। मान्यता है कि सच्चे मन से उपासना करने से जीवन के सभी दुख-दर्द दूर होते हैं और परिवार के सदस्यों को बजरंगबली की अपार कृपा प्राप्त होती है।

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    Lord Hanuman: हनुमान जी की पूजा में जरूर करें आरती

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मंगवलार का दिन हनुमान जी को प्रिय है। बजरंगबली को संकट मोचन के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि प्रभु अपने भक्तों के सभी संकट हर लेते हैं। हनुमान जी (Lord Hanuman Puja Vidhi) की पूजा जातक के लिए बेहद फलदायी साबित होती है। यदि आप मंगलवार के दिन हनुमान जी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो पूजा के दौरान हनुमान जी की आरती अवश्य करें। ऐसा करने से प्रभु सभी की मुरादें पूरी करते हैं।

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    ऐसे करें आरती 

    • इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
    • चौकी पर हनुमान जी की प्रतिमा को स्थापित करें।
    • हनुमान जी को सिंदूर अर्पित करें।
    • तुलसी व गुलाब के फूलों की माला अर्पित करें।
    • दीपक जलाकर प्रभु की आरती करें।
    • मंत्र और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
    • फल और मिठाई समेत आदि चीजों का भोग लगाएं।
    • प्रभु से जीवन के संकट दूर करने के लिए प्रार्थना करें।

    यह भी पढ़ें: Mangalwar Ke Upay: मंगलवार के दिन जरूर करें सिंदूर से जुड़े ये उपाय, धन संबंधी परेशानी होगी दूर

    हनुमान जी की आरती (Hanuman Ji Ki Aarti Lyrics)

    आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

    जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।।

    अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।।

    दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए।।

    लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।।

    लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।।

    लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे।।

    पैठि पताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े।।

    बाएं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे।।

    सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे।।

    कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।।

    लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।।

    हनुमान जी के मंत्र

    1.ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय अक्षिशूलपक्षशूल शिरोऽभ्यन्तर

    शूलपित्तशूलब्रह्मराक्षसशूलपिशाचकुलच्छेदनं निवारय निवारय स्वाहा।

    2.ओम नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय

    सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।

    3.ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसंहरणाय

    सर्वरोगहराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।