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    Mahesh Navami 2025: महेश नवमी पर करें ये पाठ, भोलेनाथ की कृपा से दूर होंगे सभी कष्ट

    Updated: Tue, 03 Jun 2025 11:43 PM (IST)

    ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर भगवान शिव को समर्पित महेश नवमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है। इस साल यह पर्व बुधवार 4 जून को मनाई जा रहा है। ऐसे में आप इस दिन पूजा में इस खास स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं।

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    Mahesh Navami 2025 महेश नवमी पर जरूर करें ये काम।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। महेश नवमी के दिन देवों के देव महादेव और जगतजननी मां पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान महेश (शिव) और माता पार्वती को माहेश्वरी समाज का संस्थापक माना जाता है। इसी कारण से महेश नवमी का उत्सव माहेश्वरी समाज में विशेष रूप से मनाया जाता है। ऐसे में अगर आप इस तिथि पर शिव जी की कृपा के पात्र बनना चाहते हैं, तो इन मंत्रों के साथ-साथ उमा महेश्वर स्तोत्र का पाठ जरूर करें। 

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    महेश नवमी शुभ मुहूर्त (Mahesh Navami Shubh Muhurat)

    ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 3 जून को रात 9 बजकर 56 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 4 जून को रात 11 बजकर 54 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, महेश नवमी बुधवार, 4 जून के दिन मनाई जाएगी।

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    उमा महेश्वर स्तोत्र (Uma Maheshwara Stotra)

    नमः शिवाभ्यां नवयौवनाभ्याम्, परस्पराश्लिष्टवपुर्धराभ्याम् ।

    नागेन्द्रकन्यावृषकेतनाभ्याम्, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥

    नमः शिवाभ्यां सरसोत्सवाभ्याम्, नमस्कृताभीष्टवरप्रदाभ्याम् ।

    नारायणेनार्चितपादुकाभ्यां, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥

    नमः शिवाभ्यां वृषवाहनाभ्याम्, विरिञ्चिविष्ण्विन्द्रसुपूजिताभ्याम् ।

    विभूतिपाटीरविलेपनाभ्याम्, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥

    नमः शिवाभ्यां जगदीश्वराभ्याम्, जगत्पतिभ्यां जयविग्रहाभ्याम् ।

    जम्भारिमुख्यैरभिवन्दिताभ्याम्, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥

    नमः शिवाभ्यां परमौषधाभ्याम्, पञ्चाक्षरी पञ्जररञ्जिताभ्याम् ।

    प्रपञ्चसृष्टिस्थिति संहृताभ्याम्, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥

    नमः शिवाभ्यामतिसुन्दराभ्याम्, अत्यन्तमासक्तहृदम्बुजाभ्याम् ।

    अशेषलोकैकहितङ्कराभ्याम्, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥

    नमः शिवाभ्यां कलिनाशनाभ्याम्, कङ्कालकल्याणवपुर्धराभ्याम् ।

    कैलासशैलस्थितदेवताभ्याम्, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥

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    (Picture Credit: Freepik)

    नमः शिवाभ्यामशुभापहाभ्याम्, अशेषलोकैकविशेषिताभ्याम् ।

    अकुण्ठिताभ्याम् स्मृतिसम्भृताभ्याम्, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥

    नमः शिवाभ्यां रथवाहनाभ्याम्, रवीन्दुवैश्वानरलोचनाभ्याम् ।

    राकाशशाङ्काभमुखाम्बुजाभ्याम्, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥

    नमः शिवाभ्यां जटिलन्धरभ्याम्, जरामृतिभ्यां च विवर्जिताभ्याम् ।

    जनार्दनाब्जोद्भवपूजिताभ्याम्, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥

    नमः शिवाभ्यां विषमेक्षणाभ्याम्, बिल्वच्छदामल्लिकदामभृद्भ्याम्

    शोभावती शान्तवतीश्वराभ्याम्, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥

    नमः शिवाभ्यां पशुपालकाभ्याम्, जगत्रयीरक्षण बद्धहृद्भ्याम् ।

    समस्त देवासुरपूजिताभ्याम्, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥

    स्तोत्रं त्रिसन्ध्यं शिवपार्वतीभ्याम्, भक्त्या पठेद्द्वादशकं नरो यः ।

    स सर्वसौभाग्य फलानि भुङ्क्ते, शतायुरान्ते शिवलोकमेति ॥

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    शिव जी के मंत्र

    1. ॐ नमः शिवाय

    2. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

    3. ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः

    4. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।