Move to Jagran APP

Maharaja Agrasen Jayanti 2022: महाराजा अग्रसेन जयंती आज, जानिए शुभ समय और श्रीराम के वंशज से जुड़ी रोचक जानकारी

Maharaja Agrasen Jayanti 2022 महाराजा अग्रसेन जयंती ज्यादातक पंजाब हरियाणा उत्तर प्रदेश और राजस्थान आदि राज्यों में अधिक मनाई जाती है। इस साल 26 सितंबर को महाराज अग्रेसन जयंती मनाई जा रही है। जानिए महाराजा अग्रसेन के बारे में रोचक बातें।

By Shivani SinghEdited By: Published: Mon, 26 Sep 2022 09:24 AM (IST)Updated: Mon, 26 Sep 2022 09:24 AM (IST)
Maharaja Agrasen Jayanti 2022: महाराजा अग्रसेन जयंती आज, जानिए शुभ समय और श्रीराम के वंशज से जुड़ी रोचक जानकारी
Maharaja Agrasen Jayanti 2022: महाराजा अग्रसेन जयंती आज

नई दिल्ली, Maharaja Agrasen Jayanti 2022: हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन महाराजा अग्रसेन जयंती मनाई जाती है। महाराजा अग्रसेन अग्रवाल समाज के पितामह और वैश्य समाज का संस्थापक कहे जाते हैं। इसके साथ ही इस दिन शारदीय नवरात्र का पहला दिन भी पड़ता है। जानिए महाराजा अग्रसेन जयंती का शुभ मुहूर्त और रोचक बातें।

loksabha election banner

महाराजा अग्रसेन जयंती 2022 तिथि और शुभ समय

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि सुबह 03 बजकर 23 मिनट से प्रारंभ हो चुकी है जो 27 सितंबर मंगलवार को सुबह 03 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी।

शुभ समय- 11 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 36 मिनट तक

राहु काल- सुबह 07 बजकर 42 मिनट से सुबह 09 बजकर 12 मिनट तक

कौन थे महाराजा अग्रसेन ?

महाराजा अग्रसेन प्रतापनगर के सूर्यवंशी क्षत्रिय राजा वल्लभ के पुत्र थे। श्रीराम की में 34वीं पीढ़ी में द्वापर के अंतिम काल और कलियुग के प्रारंभ में जन्मे थें। महाराजा अग्रसेन बचपन से ही प्रतापी और मेधावी थे। उन्होंने अपने पिता की आज्ञा मानकर नागराज कुमुट की कन्या माधावी से स्वयंवर किया था। ऐसे में देवराज इंद्र ने अपना अपमान समझा और महाराजा अग्रसेन से क्रोधित होकर उन्हें शाप दे दिया। जिसके कारण उनके राज्य में सूखा पड़ गया।प्रजा को हर संकट से निकालने के लिए महाराजा अग्रसेन ने अपने आराध्य भगवान शिव जी उपासना की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी से सुख-समृद्धि का वरदान दिया और उनके राज्य में खुशहाली लौटाई। इसके बाद महाराजा अग्रसेन से मां लक्ष्मी को प्रसन्न किया और उनसे समस्त सिद्धियां और धन वैभव प्राप्त करने का आशीर्वाद लिया और इसके साथ ही मां लक्ष्मी ने कहा कि तप को त्याग कर गृहस्थ जीवन का पालन करें और अपने वंश को आगे बढ़ाएं। तुम्हारा यही वंश कालांतर में तुम्हारे नाम से जाना जाएगा। महाराजा अग्रसेन ने राज्य के नागराज महिस्त कन्या सुंदरावती से दूसरा विवाह किया, जिससे उन्हें 18 पुत्रों की प्राप्ति हुई। इसके बाद उन्हें वैश्य समाज की स्थापना की।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.