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    Mahalakshmi Vrat 2025: लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्ति के लिए करें ये पाठ, दूर होंगी धन संबंधी समस्याएं

    महालक्ष्मी व्रत मां लक्ष्मी की कृपा पाने का उत्तम समय है। इस साल यह व्रत 31 अगस्त से शुरू होकर 14 सितंबर तक चलेगा। इस व्रत को करने से देवी महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। मान्यता है कि जो भी भक्त सच्ची भक्ति के साथ इस व्रत करता है उसे धन संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Tue, 26 Aug 2025 08:00 PM (IST)
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    Mahalakshmi Vrat 2025 ऐसे करें लक्ष्मी जी को प्रसन्न(Picture Credit: Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से महालक्ष्मी व्रत की शुरूआत मानी जाती है, जो आश्विन माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तक चलता है। महालक्ष्मी व्रत (mahalakshmi vrat 2025 date) करने वाले साधक पर देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। इस दौरान श्री सूक्त का पाठ करते करना विशेष फलदायी माना गया है। चलिए पढ़ते हैं श्री सूक्त पाठ।

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    श्री सूक्त पाठ (Shri Sukt Path)

    ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं, सुवर्णरजतस्त्रजाम् ।

    चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह ।।

    तां म आ वह जातवेदो, लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।

    यस्यां हिरण्यं विन्देयं, गामश्वं पुरूषानहम् ।

    अश्वपूर्वां रथमध्यां, हस्तिनादप्रमोदिनीम् ।

    श्रियं देवीमुप ह्वये, श्रीर्मा देवी जुषताम् ।।

    कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् ।

    पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहोप ह्वये श्रियम् ।।

    चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम् ।

    तां पद्मिनीमीं शरणं प्र पद्ये अलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे ।।

    आदित्यवर्णे तपसोऽधि जातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽक्ष बिल्वः ।

    तस्य फलानि तपसा नुदन्तु या अन्तरा याश्च बाह्या अलक्ष्मीः ।।

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    माना जाता है कि महालक्ष्मी व्रत करने से साधक की आय, सुख और सौभाग्य में भी वृद्धि होती है। ऐसे में आप इस अवधि में श्री सूक्त का पाठ करके लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

    उपैतु मां दैवसखः, कीर्तिश्च मणिना सह ।

    प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन्, कीर्तिमृद्धिं ददातु मे ।।

    क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् ।

    अभूतिमसमृद्धिं च, सर्वां निर्णुद मे गृहात् ।।

    गन्धद्वारां दुराधर्षां, नित्यपुष्टां करीषिणीम् ।

    ईश्वरीं सर्वभूतानां, तामिहोप ह्वये श्रियम् ।।

    मनसः काममाकूतिं, वाचः सत्यमशीमहि ।

    पशूनां रूपमन्नस्य, मयि श्रीः श्रयतां यशः ।।

    कर्दमेन प्रजा भूता मयि सम्भव कर्दम ।

    श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम् ।।

    आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे ।

    नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले ।।

    आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं पिंगलां पद्ममालिनीम् ।

    चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह ।।

    आर्द्रां य करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम् ।

    सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह ।।

    तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।

    यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वान् विन्देयं पुरुषानहम् ।।

    य: शुचि: प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम् ।

    सूक्तं पंचदशर्चं च श्रीकाम: सततं जपेत् ।।

    ।। इति समाप्ति ।।

    मां लक्ष्मी के मंत्र

    1. लक्ष्मी मूल मंत्र - ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नमः।।

    2. कुबेर अष्टलक्ष्मी मंत्र - ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥

    3. लक्ष्मी गायत्री मंत्र - ॐ महालक्ष्म्यै विद्महे विष्णुप्रियायै धीमहि। तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ||

    4. ऐं ह्रीं श्रीं अष्टलक्ष्मीयै ह्रीं सिद्धये मम गृहे आगच्छागच्छ नम: स्वाहा

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