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    Mahalakshmi Stotram: पूजा के समय करें महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ, धन से सदैव भरी रहेगी तिजोरी

    By Kaushik SharmaEdited By: Kaushik Sharma
    Updated: Mon, 26 Feb 2024 03:32 PM (IST)

    शास्त्रों की माने तो मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए इंद्र देव ने महालक्ष्मी स्तोत्र की रचना की थी। मान्यता है कि पूजा के दौरान महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करने से इंसान को सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है और धन और धान्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। चलिए पढ़ते हैं महालक्ष्मी स्तोत्र।

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    Mahalakshmi Stotram: पूजा के समय करें महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ, धन से सदैव भरी रहेगी तिजोरी

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mahalakshmi Stotram Path: सनातन धर्म में मां लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है। मान्यता के अनुसार, मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा करने से साधक को धन की प्राप्ति होती है और मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। शास्त्रों की माने तो मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए इंद्र देव ने महालक्ष्मी स्तोत्र की रचना की थी। मान्यता है कि पूजा के दौरान महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करने से इंसान को सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है और धन और धान्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। चलिए पढ़ते हैं महालक्ष्मी स्तोत्र।

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    महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करने के नियम

    सुबह स्नान करने के बाद मां लक्ष्मी का ध्यान करें। इसके पश्चात मां लक्ष्मी की पूजा करें। उन्हें पान, माला, सुपारी, नारियल आदि चीजें अर्पित करें। साथ ही फल और मिठाई का भोग लगाएं। इसके बाद धूप और दीपक जलाकर और मां का ध्यान करके महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ प्रारंभ करें।

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    महालक्ष्मी स्तोत्र

    नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।

    शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

    नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयंकरि।

    सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

    सर्वज्ञे सर्ववरदे देवी सर्वदुष्टभयंकरि।

    सर्वदु:खहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

    सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि।

    मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

    आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि।

    योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

    स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे।

    महापापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

    पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणी।

    परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

    श्वेताम्बरधरे देवि नानालंकारभूषिते।

    जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

    महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं य: पठेद्भक्तिमान्नर:।

    सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा।।

    एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्।

    द्विकालं य: पठेन्नित्यं धन्यधान्यसमन्वित:।।

    त्रिकालं य: पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्।

    महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा।।

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    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'