Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Guru Stotram: करियर और कारोबार में सफलता पाने के लिए करें इस स्तोत्र का पाठ, जीवन में मिलेंगे शुभ परिणाम

    By Kaushik SharmaEdited By: Kaushik Sharma
    Updated: Thu, 15 Feb 2024 07:00 AM (IST)

    कुंडली में गुरु कमजोर होने की वजह से जीवन में आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यदि आप अपनी कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत करना चाहते हैं तो ऐसे में श्रीहरि की पूजा करें। साथ ही सच्चे मन से गुरु स्तोत्र का पाठ करें। मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को करियर और कारोबार में सफलता प्राप्त होती है। आइए पढ़ते हैं गुरु स्तोत्र और गुरु कवच।

    Hero Image
    Guru Stotram: करियर और कारोबार में सफलता पाने के लिए करें इस स्तोत्र का पाठ

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Guru Stotram: गुरुवार का दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु का प्रिय है। इस दिन श्रीहरी और देवगुरु बृहस्पति की पूजा-पाठ और व्रत किया जाता है। मान्यता के अनुसार, ऐसा करने से साधक को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और धन का लाभ मिलता है। ज्योतिषियों के अनुसार, कुंडली में गुरु मजबूत होने से इंसान को कार्यों में सफलता हासिल होती है। इसके अलावा सुख और सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है। वहीं, कुंडली में गुरु कमजोर होने की वजह से जीवन में आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यदि आप अपनी कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत करना चाहते हैं, तो ऐसे में श्रीहरि की पूजा करें। साथ ही सच्चे मन से गुरु स्तोत्र का पाठ करें। मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को करियर और कारोबार में सफलता प्राप्त होती है। आइए पढ़ते हैं गुरु स्तोत्र और गुरु कवच।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गुरु स्तोत्र (Guru Stotram Lyrics)

    गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।

    गुरुस्साक्षात्परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥

    अज्ञानतिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जनशलाकया।

    चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः॥

    अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरं।

    तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः ॥

    अनेकजन्मसंप्राप्तकर्मबन्धविदाहिने ।

    आत्मज्ञानप्रदानेन तस्मै श्री गुरवे नमः ॥

    मन्नाथः श्रीजगन्नाथो मद्गुरुः श्रीजगद्गुरुः।

    ममात्मासर्वभूतात्मा तस्मै श्री गुरवे नमः ॥

    बर्ह्मानन्दं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिम्,

    द्वन्द्वातीतं गगनसदृशं तत्त्वमस्यादिलक्ष्यम्।

    एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधीसाक्षिभूतं,

    भावातीतं त्रिगुणरहितं सद्गुरुं तं नमामि ॥

    यह भी पढ़ें: Vastu Tips: बनाए रखना चाहते हैं लक्ष्मी जी की कृपा, तो वास्तु के इन नियमों का जरूर रखें ध्यान

    बृहस्पति कवच (Brihaspati Kavach Lyrics)

    अभीष्टफलदं देवं सर्वज्ञम् सुर पूजितम् ।

    अक्षमालाधरं शांतं प्रणमामि बृहस्पतिम् ॥

    बृहस्पतिः शिरः पातु ललाटं पातु मे गुरुः ।

    कर्णौ सुरगुरुः पातु नेत्रे मे अभीष्ठदायकः ॥

    जिह्वां पातु सुराचार्यो नासां मे वेदपारगः ।

    मुखं मे पातु सर्वज्ञो कंठं मे देवतागुरुः ॥

    भुजावांगिरसः पातु करौ पातु शुभप्रदः ।

    स्तनौ मे पातु वागीशः कुक्षिं मे शुभलक्षणः ॥

    नाभिं केवगुरुः पातु मध्यं पातु सुखप्रदः ।

    कटिं पातु जगवंद्य ऊरू मे पातु वाक्पतिः ॥

    जानुजंघे सुराचार्यो पादौ विश्वात्मकस्तथा ।

    अन्यानि यानि चांगानि रक्षेन्मे सर्वतो गुरुः ॥

    इत्येतत्कवचं दिव्यं त्रिसंध्यं यः पठेन्नरः ।

    सर्वान्कामानवाप्नोति सर्वत्र विजयी भवेत् ॥

    यह भी पढ़ें: Sleeping Astrology: सोते समय किस दिशा में होने चाहिए आपके पैर? वास्तु के इन नियमों का रखें ध्यान

    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।