Brihaspati Kavach: गुरुवार के दिन पूजा के समय करें बृहस्पति कवच का पाठ, आर्थिक तंगी से मिलेगी मुक्ति
ज्योतिषियों के अनुसार अगर इंसान की कुंडली में गुरु मजबूत होता है तो इससे उसे कार्यों में सफलता प्राप्त होती है और सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। वहीं कुंडली में गुरु कमजोर होने के कारण जीवन में आर्थिक समेत कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए और गुरु स्तोत्र और बृहस्पति कवच का पाठ करना चाहिए।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Guru Stotram, Brihaspati Kavach: सनातन धर्म में सप्ताह के सभी दिन किसी न किसी देवी-देवता से संबंधित है। ऐसे में गुरुवार का दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन श्री विष्णु और देवगुरु बृहस्पति की पूजा-पाठ और व्रत करने का विधान है। ज्योतिषियों के अनुसार, अगर इंसान की कुंडली में गुरु मजबूत होता है, तो उसे कार्यों में सफलता प्राप्त होती है और सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। वहीं, कुंडली में गुरु कमजोर होने के कारण जीवन में आर्थिक समेत कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
अगर आपकी कुंडली में गुरु ग्रह कमजोर है, तो ऐसे में गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए और गुरु स्तोत्र और बृहस्पति कवच का पाठ करना चाहिए। मान्यता के अनुसार, ऐसा करने से इंसान को बिजनेस में सफलता प्राप्त होगी और आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है।
यह भी पढ़ें: Mahashivratri 2024: महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर चढ़ाएं ये चीजें, बन जाएंगे सभी बिगड़े काम
बृहस्पति कवच (Brihaspati Kavach Lyrics)
अभीष्टफलदं देवं सर्वज्ञम् सुर पूजितम् ।
अक्षमालाधरं शांतं प्रणमामि बृहस्पतिम् ॥
बृहस्पतिः शिरः पातु ललाटं पातु मे गुरुः ।
कर्णौ सुरगुरुः पातु नेत्रे मे अभीष्ठदायकः ॥
जिह्वां पातु सुराचार्यो नासां मे वेदपारगः ।
मुखं मे पातु सर्वज्ञो कंठं मे देवतागुरुः ॥
भुजावांगिरसः पातु करौ पातु शुभप्रदः ।
स्तनौ मे पातु वागीशः कुक्षिं मे शुभलक्षणः ॥
नाभिं केवगुरुः पातु मध्यं पातु सुखप्रदः ।
कटिं पातु जगवंद्य ऊरू मे पातु वाक्पतिः ॥
जानुजंघे सुराचार्यो पादौ विश्वात्मकस्तथा ।
अन्यानि यानि चांगानि रक्षेन्मे सर्वतो गुरुः ॥
इत्येतत्कवचं दिव्यं त्रिसंध्यं यः पठेन्नरः ।
सर्वान्कामानवाप्नोति सर्वत्र विजयी भवेत् ॥
गुरु स्तोत्र (Guru Stotram Lyrics)
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुस्साक्षात्परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
अज्ञानतिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जनशलाकया।
चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः॥
अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरं।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
अनेकजन्मसंप्राप्तकर्मबन्धविदाहिने ।
आत्मज्ञानप्रदानेन तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
मन्नाथः श्रीजगन्नाथो मद्गुरुः श्रीजगद्गुरुः।
ममात्मासर्वभूतात्मा तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
बर्ह्मानन्दं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिम्,
द्वन्द्वातीतं गगनसदृशं तत्त्वमस्यादिलक्ष्यम्।
एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधीसाक्षिभूतं,
भावातीतं त्रिगुणरहितं सद्गुरुं तं नमामि ॥
यह भी पढ़ें: Grah Gochar 2024: मार्च के महीने में ये ग्रह बदलेंगे अपनी चाल, जानिए गोचर का समय
डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।