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    Lord Ganesh: बढ़ते कर्ज से न हों परेशान, भगवान गणेश के इस स्तोत्र के पाठ से समस्या होगी दूर

    Updated: Thu, 17 Oct 2024 08:09 AM (IST)

    भगवान गणेश को बुधवार का दिन प्रिय है। इस दिन विधिपूर्वक भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही जीवन में आ रहे संकटों से छुटकारा पाना के लिए व्रत भी किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इन कार्यों को करने से जातक के सभी बिगड़े काम पूरे होते हैं। साथ ही सुख समृद्धि एवं आय में वृद्धि होती है।

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    Lord Ganesh: कैसे करें भगवान गणेश को प्रसन्न

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में ज्योतिष शास्त्र का विषेश महत्व है। बुधवार के दिन ज्योतिष शास्त्र के विशेष उपाय भी किए जाते हैं। मान्यता है कि इन उपायों को करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और शुभ फल की प्राप्ति होती है। अगर आप भगवान गणेश (Lord Ganesh) को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो बुधवार के दिन पूजा के दौरान संकटनाशन गणेश स्तोत्र और ऋणहर्ता श्री गणेश स्तोत्र का पाठ करें। मान्यता है कि इन स्तोत्र का पाठ करने से संकट दूर होते हैं और कर्ज से छुटकारा मिलता है।

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    ॥ श्री संकटनाशन गणेश स्तोत्रम् ॥

    नारद उवाच

    प्रणम्य शिरसा देवंगौरीपुत्रं विनायकम्।

    भक्तावासं स्मेरनित्यमाय्ःकामार्थसिद्धये॥

    प्रथमं वक्रतुण्डं चएकदन्तं द्वितीयकम्।

    तृतीयं कृष्णपिङ्गाक्षंगजवक्त्रं चतुर्थकम्॥

    लम्बोदरं पञ्चमं चषष्ठं विकटमेव च।

    सप्तमं विघ्नराजं चधूम्रवर्णं तथाष्टकम्॥

    नवमं भालचन्द्रं चदशमं तु विनायकम।

    एकादशं गणपतिंद्वादशं तु गजाननम॥

    द्वादशैतानि नामानित्रिसन्ध्यं य: पठेन्नर:।

    न च विघ्नभयं तस्यसर्वासिद्धिकरं प्रभो॥

    विद्यार्थी लभते विद्यांधनार्थी लभते धनम्।

    पुत्रार्थी लभतेपुत्रान्मोक्षार्थी लभते गतिम्॥

    जपेद्गणपतिस्तोत्रंषड्भिर्मासै: फलं लभेत्।

    संवत्सरेण सिद्धिं चलभते नात्र संशय:॥

    अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्चलिखित्वां य: समर्पयेत्।

    तस्य विद्या भवेत्सर्वागणेशस्य प्रसादत:॥

    ॥ इति श्रीनारदपुराणे सङ्कटनाशनगणेशस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

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    ॥ ऋणहर्ता श्री गणेश स्तोत्र॥

    कैलाशपर्वते रम्ये शम्भुं चन्द्रार्धशेखरम्।

    षडाम्नायसमायुक्तं पप्रच्छ नगकन्यका॥

    ॥ पार्वत्युवाच ॥

    देवश परमेशान सर्वशास्त्रार्थपारग।

    उपायमृणनाशस्य कृपया वद साम्प्रतम्॥

    ॥ शिव उवाच ॥

    सम्यक् पृष्टं त्वया भद्रे लोकानां हिकाम्यया।

    तत्सर्वं सम्प्रवक्ष्यामि सावधानावधारय॥

    ॥ विनियोग ॥

    ॐ अस्य श्रीऋणहरणकर्तृगणपतिस्तोत्रमन्त्रस्य सदाशिव ऋषिः

    अनुष्टुप् छन्दः श्रीऋणहरणकर्तृगणपतिर्देवता ग्लौं बीजम्

    गः शक्तिः गों कीलकम्मम सकलऋणनाशने जपे विनियोगः।

    ॥ ऋष्यादिन्यास ॥

    ॐ सदाशिवऋषये नमः शिरसि।

    ॐ अनुष्टुप् छन्दसे नमः मुखे।

    ॐ श्रीऋणहर्तृगणेश देवतायै नमः हृदि।

    ॐ ग्लौं बीजाय नमः गुह्ये।

    ॐ गः शक्तये नमः पादयोः।

    ॐ गों कीलकाय नमः सर्वांगे।

    ॥ करन्यास ॥

    ॐ गणेश अंगुष्ठाभ्यां नमः।

    ॐ ऋणं छिन्धि तर्जनीभ्यां नमः।

    ॐ वरेण्यम् मध्यमाभ्यां नमः।

    ॐ हुं अनामिकाभ्यां नमः।

    ॐ नमः कनिष्ठिकाभ्यां नमः।

    ॐ फट् करतलकर पृष्ठाभ्यां नमः।

    ॥ हृदयादिन्यास ॥

    ॐ गणेश हृदयाय नमः।

    ॐ ऋणं छिन्धि शिरसे स्वाहा।

    ॐ वरेण्यम् शिखायै वषट्।

    ॐ हुं कवचाय हुम्।

    ॐ नमः नेत्रत्रयाय वौषट्।

    ॐ फट् अस्त्राय फट्।

    ॥ ध्यान ॥

    सिन्दूरवर्णं द्विभुजं गणेशंलम्बोदरं पद्मदले निविष्टम्।

    ब्रह्मादिदेवैः परिसेव्यमानंसिद्धैर्युतं तं प्रणमामि देवम्॥

    ॥ स्तोत्र पाठ ॥

    सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजितः फलसिद्धये।

    सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे॥

    त्रिपुरस्य वधात्पूर्वं शम्भुना सम्यगर्चितः।

    सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे॥

    हिरण्यकश्यपादीनां वधार्थे विष्णुनार्चितः।

    सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे॥

    महिषस्य वधे देव्या गणनाथः प्रपूजितः।

    सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे॥

    तारकस्य वधात्पूर्वं कुमारेण प्रपूजितः।

    सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे॥

    भास्करेण गणेशस्तु पूजितश्छविसिद्धये।

    सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे॥

    शशिना कान्तिसिद्ध्यर्थं पूजितो गणनायकः।

    सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे॥

    पालनाय च तपसा विश्वामित्रेण पूजितः।

    सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे॥

    इदं त्वृणहरं स्तोत्रं तीव्रदारिद्र्यनाशनम्।

    एकवारं पठेन्नित्यं वर्षमेकं समाहितः॥

    दारिद्र्यं दारुणं त्यक्त्वा कुबेरसमतां व्रजेत्।

    फडन्तोऽयं महामन्त्रः सार्धपञ्चदशाक्षरः॥

    अस्यैवायुतसंख्याभिः पुरश्चरणमीरितम।

    सहस्रावर्तनात् सद्यो वाञ्छितं लभते फलम्॥

    भूत-प्रेत-पिशाचानां नाशनं स्मृतिमात्रतः॥

    ॥ इति श्रीकृष्णयामलतन्त्रागत-उमामहेश्वरसंवादे

    ऋणहर्ता श्री गणेश स्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।