Kushotpatini Amavasya 2022: कुशोत्पाटिनी अमावस्या आज, जानें कुश तोड़ने का नियम और महत्व
Kushotpatini Amavasya 2022 आज कुशोत्पाटिनी अमावस्या या कुशग्रहणी अमावस्या है। आज के दिन स्नान दान करने का अधिक महत्व है। इसके साथ ही कुश यानी एक तरह की पवित्र घास इकट्ठा की जाती है। आइए जानते हैं कुश तोड़ने के नियम और महत्व।

नई दिल्ली, Kushotpatini Amavasya 2022: पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या आज मनाई जा रही है। इसी भादो अमावस्या, कुश उत्पाटन, कुशोत्पाटिनी जैसे नामों से भी जानते हैं। कुशोत्पाटिनी अमावस्या का मतलब है कि कुश का उखाड़ना। आज के दिन कुश को विधिवत तरीके से उखाड़ा जाता है। इस कुश का इस्तेमाल पूरे साल देवी-देवता और पितरों की पूजा के लिए किया जाता है। इसके अलावा शादी-विवाह, मांगलिक कार्यों आदि में किया जाता है। भाद्रपद अमावस्या के दिन स्नान-दान करने का विशेष महत्व है। जानिए कुश का महत्व और कुश से जुड़े नियम।
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कुश का महत्व
शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि कुश की उत्पत्ति भगवान विष्णु के रोम से हुआ है। कुश का मूल ब्रह्मा, मध्ये विष्णु और अग्रभाव शिव का जानना चाहिए। इसी कारण तुलसी की तरह कुश भी कभी बासी नहीं होता है। इसका इस्तेमाल बार-बार किया जा सकता है।
कुश की उत्पत्ति की कथा
मत्स्य पुराण में कुश की उत्पत्ति के बारे में बताया गया है। इसके अनुसार, जब भगवान विष्णु ने वराह अवतार धारण कर अपने परम भक्त प्रहलाद की प्राणों की रक्षा के लिए हिरण्याक्ष नामक राक्षस का वध किया था तो फिर से धरती को समुद्र से निकालकर सभी प्राणियों की रक्षा की थी। भगवान वराह अवतार ने जब अपने शरीर पर लगे पानी को झटका तब उनके शरीर के कुछ बाल पृथ्वी पर आकर गिरा और कुश का रूप धारण कर लिया। तभी से कुश को पवित्र माना जाता है।
इस तरह तोड़े कुश
शास्त्रों में कुश को तोड़ने के भी कुछ नियम बताए गए हैं जिसके अनुसार, कुश तोड़ने से पहले उनसे क्षमायाचना जरूर करें। इसके साथ ही प्रार्थना करते हुए कहे कि हे कुश आप मेरे निमंत्रण को स्वीकार करें और मेरे साथ मेरे घर चलें। फिर 'ऊं ह्रूं फट् स्वाहा' मंत्र का जाप करते हुए कुश को उखाड़ना लें और उसे अपने साथ घर ले आएं और एक साल तक घर पर रखें और मांगलिक नामों के साथ पितरों का श्राद्ध में इस्तेमाल कर सकते हैं।
Pic Credit- instagram/olga_assam
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