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    जानें, मंगलवार व्रत की कथा और हनुमान जी की पूजा विधि

    By Pravin KumarEdited By:
    Updated: Mon, 31 Jan 2022 09:51 PM (IST)

    पौरणिक कथा अनुसार प्राचीन काल में एक ब्राह्मण दम्पत्ति रहते थे जिनकी कोई संतान न थी। इसके लिए ब्राह्मणी मंगलवार व्रत किया करती थी। हर मंगलवार को हनुमान जी को भोग लगाने के बाद ही वह खाती थी। एक मंगलवार को वह हनुमान जी को भोग नहीं लगा सकी।

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    जानें, मंगलवार व्रत की कथा और हनुमान जी की पूजा विधि

    सनातन धर्म में मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने का विधान है। इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से व्यक्ति को बल, बुद्धि और विद्या की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत उपवास करने से कुंडली में सूर्य मजबूत होता है। ज्योतिष हमेशा सूर्य को मजबूत करने के लिए मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने की सलाह दी जाती है। साथ ही उपवास करने का भी विधान है। इससे व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और मंगल का आगमन होता है। इस दिन पूजा के दौरान मंगलवार की कथा श्रवण और पाठ किया जाता है। आइए, मंगलवार की व्रत कथा और और पूजा विधि जानते हैं-

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    मंगलवार व्रत कथा

    पौरणिक कथा अनुसार, प्राचीन काल में एक ब्राह्मण दम्पत्ति रहते थे, जिनकी कोई संतान न थी। इसके लिए ब्राह्मणी मंगलवार व्रत किया करती थी। हर मंगलवार को हनुमान जी को भोग लगाने के बाद ही वह खाती थी। एक मंगलवार को वह किसी कारणवश हनुमान जी को भोग नहीं लगा सकी।

    इससे वह काफी दुखी हो गई। तब ब्राह्मणी ने प्रतिज्ञा की कि वह अगले मंगलवार को हनुमान जी को भोग लगाने के बाद ही भोजन ग्रहण करेगी। ब्राह्मणी ने भूखे-प्यासे 6 दिन किसी तरह गुजारे, लेकिन सांतवें दिन वह मूर्छित होकर गिर पड़ीं। तब हनुमान जी ने प्रकट होकर ब्राह्मणी को पुत्र रत्न दिया।

    जब ब्राह्मण को इस बात की जानकारी हुई तो उसने बालक को अपना पुत्र मानने से इंकार कर दिया और उसका वध करने की ठानी।हालांकि, ब्राह्मण इसमें सफल नहीं पाया। तब हनुमान जी ने स्वप्न में आकर उन्हें ज्ञात कराया कि मंगल तुम्हारा पुत्र है। इसके बाद ब्राह्मण ने हनुमान जी से क्षमा याचना की। कालांतर से इस व्रत को करने का विधान है। इस व्रत को करने से संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी दुःख-संकट दूर हो जाते हैं।

    पूजा विधि

    मंगलवार के दिन सुबह में उठकर भगवान श्रीराम को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। इसके पश्चात, नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान करें। अब आमचन करें और अपने आप पवित्र कर लाल रंग का वस्त्र धारण करें। इसके बाद हनुमान जी की पूजा लाल रंग के पुष्प, फल, धूप, दीप, अगरबत्ती, मिष्ठान आदि चीजों से करें। पूजा के दौरान हनुमान चालीसा का पाठ, सुंदर कांड और मंगलवार की कथा का पाठ जरूर करें। अंत में आरती अर्चना करें। दिनभर उपवास रखें। संध्याकाल में आरती कर भोजन ग्रहण कर सकते हैं। हालांकि, सात्विक भोजन ही ग्रहण करें।

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'