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    Kartavirya Arjuna: जानें, दशानन रावण को मिनटों में परास्त करने वाले कार्तवीर्य अर्जुन की विशेषताएं

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Tue, 25 Jul 2023 05:10 PM (IST)

    Kartavirya Arjuna एक दिन माहिष्मती के सम्राट कार्तवीर्य अर्जुन अपनी धर्म पत्नियों के साथ नर्मदा नदी में स्नान कर रहे थे। उस समय कार्तवीर्य अर्जुन की भुजाओं से नर्मदा नदी की धारा प्रवाह में बाधा आई। इस स्थिति में नदी का पानी किनारे से बहने लगा। इससे लंका नरेश रावण की तपस्या भंग हो गई। तपस्या भंग होने से दशानन रावण क्रोधित हो उठे।

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    Kartavirya Arjuna: जानें, दशानन रावण को मिनटों में परास्त करने वाले कार्तवीर्य अर्जुन की विशेषताएं

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Kartavirya Arjuna: हर वर्ष सावन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पद्मिनी एकादशी मनाई जाती है। इस वर्ष 29 जुलाई को पद्मिनी एकादशी है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि पद्मिनी एकादशी का व्रत करने से सुख, समृद्धि और वंश में वृद्धि होती है। इस व्रत के पुण्य प्रताप से कालांतर में रानी पद्मिनी और नरेश कृतवीर्य को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी। रानी पद्मिनी के पुत्र कार्तवीर्य बेहद शक्तिशाली थे। धर्म शास्त्रों में निहित है कि भगवान को छोड़ कोई कार्तवीर्य अर्जुन को हरा नहीं सकता था। उनके बल और पराक्रम का गुणगान तीनों लोकों में होता था। राजा कार्तवीर्य न केवल बलशाली और पराक्रमी योद्धा थे, बल्कि परम प्रतापी थे। वर्तमान समय तक पृथ्वी लोक पर कार्तवीर्य की शक्ति समान कोई पैदा नहीं हुआ है। तत्कालीन समय में लंका नरेश रावण ने अहंकार में आकर कार्तवीर्य से युद्ध किया था। इस युद्ध में लंका नरेश को मिनटों में कार्तवीर्य अर्जुन ने परास्त कर बंदी बना लिया था। आइए, इस प्रसंग के बारे में सबकुछ जानते हैं-

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    कथा

    त्रेता युग की बात है। जब कार्तवीर्य अर्जुन की वीरता का डंका तीनों लोकों में बजने लगा। उस समय लंका नरेश रावण माहिष्मती के सम्राट कार्तवीर्य अर्जुन को हराने उनके नगर आ पहुंचे। यह खूबसूरत नगर नर्मदा नदी के किनारे बसा है। कालांतर में इस जगह को माहिष्मती कहा जाता था। लंका नरेश नर्मदा नदी के किनारे भगवान शिव की तपस्या करने लगे। दशानन तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहते थे। धर्म शास्त्रों में निहित है कि भगवान शिव की तपस्या करने से रावण को मायावी शक्ति प्राप्ति हुई थी। इस शक्ति की वजह से रावण को कोई मार नहीं सकता था।

    एक दिन माहिष्मती के सम्राट कार्तवीर्य अर्जुन अपनी धर्म पत्नियों के साथ नर्मदा नदी में स्नान कर रहे थे। उस समय कार्तवीर्य अर्जुन की भुजाओं से नर्मदा नदी की धारा प्रवाह में बाधा आई। इस स्थिति में नदी का पानी किनारे से बहने लगा। इससे लंका नरेश रावण की तपस्या भंग हो गई। तपस्या भंग होने से दशानन रावण क्रोधित हो उठे। क्रोध में आकर लंका नरेश ने कार्तवीर्य अर्जुन को युद्ध के लिए ललकारा। उस समय कार्तवीर्य अर्जुन ने दशानन रावण को चंद मिनटों में परास्त कर बंदी बना लिया।

    जब यह बात लंका नरेश रावण के पिता को प्राप्त हुई। वे व्याकुल हो उठे। उन्हें पता था कि कार्तवीर्य अर्जुन स्वयं भगवान के अवतार हैं। उनमें समस्त ब्रह्मांड का अतुल बल समाहित है। वे नारायण के अस्त्र सुदर्शन के अवतार हैं। इसके लिए रावण के पिता तत्काल माहिष्मती पहुंचे और कार्तवीर्य अर्जुन से रावण को मुक्त करने की याचना की। कार्तवीर्य अर्जुन परम प्रतापी थे। किसी के साथ उन्होंने कोई अन्याय नहीं किया था। मानव जगत के कल्याण हेतु उनका जन्म हुआ था। अतः कार्तवीर्य अर्जुन ने रावण के पिता की याचना को स्वीकार कर लंका नरेश को मुक्त कर दिया। उस दिन लंका नरेश रावण को ज्ञात हो गया कि कार्तवीर्य अर्जुन भगवान के अवतार हैं। उन्हें भगवान के सिवा कोई पराजित नहीं कर सकता है।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें।