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    Kalashtami 2024: कालाष्टमी पर दुर्लभ 'इंद्र' योग का हो रहा है निर्माण, प्राप्त होगा दोगुना फल

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Sun, 17 Nov 2024 09:12 PM (IST)

    हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मासिक कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। साथ ही काल भैरव देव की उपासना (Kaal Bhairav Puja Vidhi) की जाती है। धार्मिक मत है कि जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है।

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    Kalashtami 2024: काल भैरव देव को कैसे प्रसन्न करें ?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, 22 नवंबर को मासिक कालाष्टमी है। यह पर्व हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की कठिन साधना एवं उपासना की जाती है। काल भैरव देव की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। तंत्र सीखने वाले साधक सिद्धि प्राप्ति के लिए कालाष्टमी पर्व पर काल भैरव देव की कठिन साधना करते हैं। कठिन भक्ति से प्रसन्न होकर काल भैरव देव मनोवांछित फल प्रदान करते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर दुर्लभ इंद्र योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही कई अन्य मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में काल भैरव देव की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।

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    कालाष्टमी शुभ मुहूर्त (Kalashtami Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 नवंबर को संध्याकाल 06 बजकर 07 मिनट पर शुरू होगी और 23 नवंबर को संध्याकाल 07 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगी। कालाष्टमी पर निशा काल में काल भैरव देव की पूजा की जाती है। अत: 22 नवंबर को मासिक कालाष्टमी मनाई जाएगी। इस शुभ अवसर पर काल भैरव देव की पूजा की जाएगी।

    इंद्र योग (indra Yog)

    ज्योतिषियों की मानें तो कार्तिक माह की कालाष्टमी पर दुर्लभ ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है। इस शुभ योग का संयोग सुबह 11 बजकर 34 मिनट तक है। इसके बाद इंद्र योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का संयोग 23 नवंबर को सुबह 11 बजकर 42 मिनट तक है। इन योग में काल भैरव देव की पूजा करने से साधक को अमोघ फल की प्राप्ति होगी। इसके साथ ही रवि योग का संयोग सुबह 06 बजकर 50 मिनट से शाम 05 बजकर 10 मिनट तक है।

    पंचांग

    सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 50 मिनट पर

    सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 25 मिनट पर

    चंद्रोदय- रात 11 बजकर 41 मिनट पर

    चंद्रास्त- देर रात 12 बजकर 35 मिनट पर

    ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 02 मिनट से 05 बजकर 56 मिनट तक

    विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 53 मिनट से 02 बजकर 35 मिनट तक

    गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 22 मिनट से 05 बजकर 49 मिनट तक

    निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 34 मिनट तक

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।