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    Pradosh Vrat 2024: भादों के प्रथम प्रदोष व्रत पर महादेव की ऐसे करें पूजा, खुशियों से भर जाएगी आपकी झोली

    Updated: Wed, 21 Aug 2024 06:06 PM (IST)

    सनातन धर्म में प्रदोष व्रत को महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन देवों के देव महादेव और मां पार्वती की उपासना संध्याकाल में करनी चाहिए है। साथ ही प्रभु के भोग में प्रिय चीजों को शामिल करना चाहिए। ऐसा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। अगर आप भी महादेव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो आइए जानते है किस तरह प्रभु की कृपा प्राप्त की जा सकती है?

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    Pradosh Vrat 2024: भगवान शिव को ऐसे करें प्रसन्न

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Pradosh Vrat 2024: सनातन धर्म में सभी तिथि किसी न किसी देवी-देवताओं को समर्पित है। ठीक इसी प्रकार हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना करने का विधान है। इस दिन शनिवार होने के कारण यह शनि प्रदोष व्रत होगा। मान्यता है कि इस दिन महादेव की पूजा के दौरान शिव स्तुति का पाठ करने से साधक के किस्मत चमक सकती है और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। इसके अलावा जीवन खुशियों से भरा रहेगा। आइए पढ़ते हैं शिव स्तुति।

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    प्रदोष व्रत 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat 2024 Date and Shubh Muhurat)

    पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 31 अगस्त को देर रात 02 बजकर 25 मिनट से होगी। वहीं, इसका समापन अगले यानी 01 सितंबर को देर रात 03 बजकर 40 मिनट पर होगा। ऐसे में 31 अगस्त को प्रदोष व्रत मनाया जाएगा, क्योंकि त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने का विधान है।

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    ।।शिव स्तुति मंत्र।।

    पशूनां पतिं पापनाशं परेशं गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम।

    जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम।1।

    महेशं सुरेशं सुरारातिनाशं विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्।

    विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्नित्रिनेत्रं सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्।2।

    गिरीशं गणेशं गले नीलवर्णं गवेन्द्राधिरूढं गुणातीतरूपम्।

    भवं भास्वरं भस्मना भूषिताङ्गं भवानीकलत्रं भजे पञ्चवक्त्रम्।3।

    शिवाकान्त शंभो शशाङ्कार्धमौले महेशान शूलिञ्जटाजूटधारिन्।

    त्वमेको जगद्व्यापको विश्वरूप: प्रसीद प्रसीद प्रभो पूर्णरूप।4।

    परात्मानमेकं जगद्बीजमाद्यं निरीहं निराकारमोंकारवेद्यम्।

    यतो जायते पाल्यते येन विश्वं तमीशं भजे लीयते यत्र विश्वम्।5।

    न भूमिर्नं चापो न वह्निर्न वायुर्न चाकाशमास्ते न तन्द्रा न निद्रा।

    न गृष्मो न शीतं न देशो न वेषो न यस्यास्ति मूर्तिस्त्रिमूर्तिं तमीड।6।

    अजं शाश्वतं कारणं कारणानां शिवं केवलं भासकं भासकानाम्।

    तुरीयं तम:पारमाद्यन्तहीनं प्रपद्ये परं पावनं द्वैतहीनम।7।

    नमस्ते नमस्ते विभो विश्वमूर्ते नमस्ते नमस्ते चिदानन्दमूर्ते।

    नमस्ते नमस्ते तपोयोगगम्य नमस्ते नमस्ते श्रुतिज्ञानगम्।8।

    प्रभो शूलपाणे विभो विश्वनाथ महादेव शंभो महेश त्रिनेत्।

    शिवाकान्त शान्त स्मरारे पुरारे त्वदन्यो वरेण्यो न मान्यो न गण्य:।9।

    शंभो महेश करुणामय शूलपाणे गौरीपते पशुपते पशुपाशनाशिन्।

    काशीपते करुणया जगदेतदेक-स्त्वंहंसि पासि विदधासि महेश्वरोऽसि।10।

    त्वत्तो जगद्भवति देव भव स्मरारे त्वय्येव तिष्ठति जगन्मृड विश्वनाथ।

    त्वय्येव गच्छति लयं जगदेतदीश लिङ्गात्मके हर चराचरविश्वरूपिन।11।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।