Papmochani Ekadashi 2025: पापमोचनी एकादशी पर करें इन मंत्रों का जप, आर्थिक तंगी होगी दूर
सनातन धर्म में एकादशी तिथि को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष में पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi 2025) व्रत किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार पापमोचनी एकादशी व्रत करने से साधक के सभी पापों का नाश होता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। एकादशी तिथि को भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए शुभ माना जाता है। पापमोचनी एकादशी पर साधक श्रीहरि की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं और जीवन सभी सुखों की प्राप्ति के लिए प्रभु से कामना करते हैं।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi 2025) व्रत और पूजा करने से जीवन के सभी दुख और दर्द दूर होते है। अगर आप पापमोचनी एकादशी पर शुभ फल की प्राप्ति और आर्थिक तंगी से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो पापमोचनी एकादशी के दिन पूजा के दौरान मां लक्ष्मी के मंत्रों का जप करें। माना जाता है कि मां लक्ष्मी के मंत्रों का जप करने से धन लाभ के योग बनते हैं। साथ ही मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
पापमोचनी एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त (Papmochani Ekadashi 2025 Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि की शुरुआत 25 मार्च को सुबह 05 बजकर 05 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 26 मार्च को देर रात 03 बजकर 45 मिनट पर तिथि का समापन होगा। ऐसे में 25 मार्च को पापमोचनी एकादशी व्रत किया जाएगा।
पापमोचनी एकादशी 2025 व्रत पारण टाइम (Papamochani Ekadashi 2025 Vrat Paran Time)
एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि पर किया जाता है। पापमोचनी एकादशी व्रत पारण का टाइम 26 मार्च को 01 बजकर 41 मिनट से लेकर शाम 04 बजकर 08 मिनट तक है। व्रत का पारण करने के बाद अन्न और धन का दान जरूर करना चाहिए।
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मां लक्ष्मी के मंत्र
1. या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥
2. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
3. ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ ।।
4. ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
5. ॐ ह्रीं क्ष्रौं श्रीं लक्ष्मी नृसिंहाय नमः ।
ॐ क्लीन क्ष्रौं श्रीं लक्ष्मी देव्यै नमः ।।
6. ॐ ह्री श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम गृहे धनं पूरय पूरय चिंतायै दूरय दूरय स्वाहा ।
7. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौं ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौं ऐं क्लीं ह्रीं श्री ॐ।
8. ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये
धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥
9. ऊँ हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम ।।
10. लक्ष्मी ध्यानम
सिन्दूरारुणकान्तिमब्जवसतिं सौन्दर्यवारांनिधिं,
कॊटीराङ्गदहारकुण्डलकटीसूत्रादिभिर्भूषिताम् ।
हस्ताब्जैर्वसुपत्रमब्जयुगलादर्शंवहन्तीं परां,
आवीतां परिवारिकाभिरनिशं ध्याये प्रियां शार्ङ्गिणः ॥
भूयात् भूयो द्विपद्माभयवरदकरा तप्तकार्तस्वराभा,
रत्नौघाबद्धमौलिर्विमलतरदुकूलार्तवालेपनाढ्या ।
नाना कल्पाभिरामा स्मितमधुरमुखी सर्वगीर्वाणवनद्या,
पद्माक्षी पद्मनाभोरसिकृतवसतिः पद्मगा श्री श्रिये वः ॥
वन्दे पद्मकरां प्रसन्नवदनां सौभाग्यदां भाग्यदां,
हस्ताभ्यामभयप्रदां मणिगणैर्नानाविधैर्भूषिताम् ।
भक्ताभीष्टफलप्रदां हरिहरब्रह्मादिभिस्सेवितां,
पार्श्वे पङ्कजशङ्खपद्मनिधिभिर्युक्तां सदा शक्तिभिः ॥
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