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    Papmochani Ekadashi: 25 और 26 मार्च, दो दिन क्यों मनाई जा रही पापमोचनी एकादशी, जहां जानें कारण

    Updated: Mon, 24 Mar 2025 12:49 PM (IST)

    पापमोचनी एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व माना गया है। यह एकादशी हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष में मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस एकादशी विष्णु की पूजा-अर्चना और व्रत करने से साधक को सभी पापों से मुक्ति मिल सकती है। इस बार पापमोचनी एकादशी का व्रत 25 और 26 मार्च को किया जा रहा है चलिए जानते हैं इसका कारण।

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    Papmochani Ekadashi 2025 कब मनाई जा रही है?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। एकादशी तिथि को हिंदू धर्म की काफी महत्वपूर्ण तिथियों में से एक माना गया है। एकादशी का सही विधि से पारण करना भी बहुत जरूरी होता है। एकादशी व्रत का पारण अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर सूर्योदय के बाद किया जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं पापमोचनी एकादशी व्रत (Papmochani Ekadashi 2025) के पारण के लिए शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है।

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    दो दिन एकादशी मनाने का कारण

    इस बार पापमोचनी एकादशी 25 व 26 मार्च को मनाई जाएगी। इसका कारण है कि सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है यानी उदया तिथि के अनुसार, एकादशी का व्रत किया जाता है। ऐसे में सामान्य जन मंगलवार, 25 मार्च को पापमोचनी एकादशी का व्रत करेंगे। वहीं वैष्णव पापमोचिनी एकादशी (Vaishnav Ekadashi 2025) का व्रत बुधवार, 26 मार्च को किया जाएगा।

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    पापमोचिनी एकादशी पारण का समय -

    सामान्य जन पापमोचनी एकादशी व्रत का पारण 26 मार्च को कर सकते हैं, जिसका समय दोपहर 01 बजकर 56 मिनट से शाम 04 बजकर 23 मिनट तक रहने वाला है। एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान भी नहीं करना चाहिए। ऐसे में इस दिन हरि वासर समाप्त होने का समय सुबह 09 बजकर 14 मिनट तक रहेगा।

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    वैष्णव पापमोचिनी एकादशी पारण का समय -

    वैष्णव पापमोचनी एकादशी पारण के दिन द्वादशी सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाएगी। ऐसे में इस एकादशी व्रत का पारण 27 मार्च को किया जाएगा, जिसका समय सुबह 06 बजकर 35 मिनट से सुबह 09 बजकर 02 मिनट तक रहने वाला है।

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    करें इन मंत्रों का जप (Lord Vishnu Mantra)

    1. शांताकारम भुजङ्गशयनम पद्मनाभं सुरेशम।

    विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम।

    लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म।

    वन्दे विष्णुम भवभयहरं सर्व लोकेकनाथम।

    2. ॐ नमोः नारायणाय॥

    3. ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥

    4. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।

    तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

    5. मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुडध्वजः।

    मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।