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    Narasimha Jayanti 2025: नरसिंह जयंती के दिन जरूर करें ये आरती, जीवन में मिलेंगे सभी सुख

    Updated: Sun, 11 May 2025 08:22 AM (IST)

    11 मई को नरसिंह जंयती मनाई जाएगी है। धार्मिक मान्यता के अनुसार नरसिंह जंयती के अवसर पर भगवान नरसिंह की पूजा-अर्चना करने से साधक को जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति है। साथ ही जीवन में आ रहे दुख और संकट दूर होते हैं। आइए जानते हैं कि कैसे प्राप्त करें भगवान नरसिंह की कृपा।

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    इस आरती के बिना अधूरी है भगवान नरसिंह की पूजा

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भगवान नरसिंह की कृपा प्राप्त करने के लिए नरसिंह जयंती का पर्व शुभ माना जाता है। इस पर्व को हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस तिथि पर भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने भगवान नरसिंह का अवतार लिया था।

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    इसलिए वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर नरसिंह जयंती मनाई जाती है। सनातन शास्त्रों में भगवान नरसिंह की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन भगवान नरसिंह की पूजा करने से साधक को जीवन में शुभ परिणाम मिलते हैं। साथ ही सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।

    नरसिंह जयंती के दिन पूजा के समय भगवान नरसिंह की आरती जरूर करनी चाहिए। इससे भगवान नरसिंह प्रसन्न होते हैं और साथ ही शुभ फल की प्राप्ति होगी। आइए पढते हैं भगवान नरसिंह की आरती।

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    श्री नरसिंह भगवान की आरती

    ॐ जय नरसिंह हरे, प्रभु जय नरसिंह हरे।

    स्तम्भ फाड़ प्रभु प्रकटे, स्तम्भ फाड़ प्रभु प्रकटे, जन का ताप हरे॥

    ॐ जय नरसिंह हरे...

    तुम हो दीन दयाला, भक्तन हितकारी, प्रभु भक्तन हितकारी।

    अद्भुत रूप बनाकर, अद्भुत रूप बनाकर, प्रकटे भय हारी॥

    ॐ जय नरसिंह हरे...

    सबके ह्रदय विदारण, दुस्यु जियो मारी, प्रभु दुस्यु जियो मारी।

    दास जान अपनायो, दास जान अपनायो, जन पर कृपा करी॥

    ॐ जय नरसिंह हरे...

    ब्रह्मा करत आरती, माला पहिनावे, प्रभु माला पहिनावे।

    शिवजी जय जय कहकर, पुष्पन बरसावे॥

    ॐ जय नरसिंह हरे...

    नरसिंह भगवान की आरती

    आरती कीजै नरसिंह कुंवर की ।

    वेद विमल यश गाउँ मेरे प्रभुजी ॥

    पहली आरती प्रह्लाद उबारे ।

    हिरणाकुश नख उदर विदारे ॥

    दुसरी आरती वामन सेवा ।

    बल के द्वारे पधारे हरि देवा ॥

    तीसरी आरती ब्रह्म पधारे ।

    सहसबाहु के भुजा उखारे ॥

    चौथी आरती असुर संहारे ।

    भक्त विभीषण लंक पधारे ॥

    पाँचवीं आरती कंस पछारे ।

    गोपी ग्वाल सखा प्रतिपाले ॥

    तुलसी को पत्र कंठ मणि हीरा ।

    हरषि-निरखि गावे दास कबीरा ॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।