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    Jyeshtha Amavasya 2024: ज्येष्ठ अमावस्या पर इस विधि से करें पितरों का तर्पण, जीवन में मिलेंगे शुभ परिणाम

    Updated: Sat, 01 Jun 2024 12:25 PM (IST)

    हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि को महत्वपूर्ण माना गया है। अमावस्या का दिन गंगा स्नान पितृ तर्पण पितृ पूजा पिंड दान और ब्राह्मणों को भोजन कराने के लिए उत्तम माना जाता है। साथ ही भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि इन शुभ कार्यों को करने से जातक को जीवन में शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं।

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    Jyeshtha Amavasya 2024: ज्येष्ठ अमावस्या पर इस विधि से करें पितरों का तर्पण ((Pic Credit- Freepik))

    धर्म डेस्क,नई दिल्ली। Jyeshtha Amavasya 2024 Pitru Tarpan Vidhi in Hindi: हिंदू नववर्ष के तीसरे महीने में ज्येष्ठ अमावस्या का पर्व मनाया जाता है। इस साल ज्येष्ठ अमावस्या 06 जून (Kab Hai Amavasya 2024) को पड़ रही है। अमावस्या का दिन गंगा स्नान, पितृ तर्पण, पितृ पूजा, पिंड दान और ब्राह्मणों को भोजन कराने के लिए उत्तम माना जाता है। साथ ही भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि इन शुभ कार्यों को करने से जातक को जीवन में शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। अमावस्या पर पितृ तर्पण करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और जीवन सुखमय होता है। आइए जानते हैं अमावस्या पर कैसे करना चाहिए पितृ तर्पण?

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    ज्येष्ठ अमावस्या 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Jyeshtha Amavasya 2024 Date and Shubh Muhurat)

    पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरुआत 05 जून को रात 07 बजकर 54 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 06 जून को शाम 06 बजकर 07 मिनट पर होगा। ऐसे में 06 जून को ज्येष्ठ अमावस्या को मनाई जाएगी।

    ज्येष्ठ अमावस्या 2024 पितृ तर्पण विधि (Jyeshtha Amavasya 2024 Pitru Tarpan Vidhi)

    ज्येष्ठ अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठें और दिन की शुरुआत देवी-देवता के ध्यान से करें। इसके बाद स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। अब एक लोटे में जल, फूल और तिल डाल लें। इसे पितरों को अर्पित करें। इसके बाद गाय के गोबर से बने उपले, खीर, गुड़ और घी अर्पित करें। इस तिथि पर श्रद्धा अनुसार वस्त्र, अन्न और धन का गरीबों में दान करना चाहिए।

    पितृ दोष दोष के मंत्र

    • ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि।
    • शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्’।

    पितृ गायत्री मंत्र

    • ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।
    • ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।
    • ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।