Jitiya Vrat 2023: साल 2023 में कब है जितिया? जानें-शुभ मुहूर्त, व्रत कथा एवं महत्व
Jitiya Vrat 2023 Date सनातन धर्म में जीवित्पुत्रिका पर्व का विशेष महत्व है। इस व्रत को करने से संतान की आयु लंबी होती है। साथ ही पुत्र को आरोग्य जीवन प्राप्त होता है। इस व्रत में महिलाएं 24 घंटे तक अनवरत निर्जला उपवास रखती हैं। इस व्रत के पुण्य प्रताप से व्रती के बच्चे तेजस्वी ओजस्वी और मेधावी होते हैं।

नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क | Jitiya Vrat 2023: सनातन पंचांग के अनुसार, हर वर्ष अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि से लेकर नवमी तिथि तक जितिया मनाया जाता है। इस वर्ष 6 अक्टूबर को जितिया पर्व मनाया जाएगा। इसे जिउतिया और जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहा जाता है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं करती हैं। इस व्रत के पुण्य प्रताप से संतान की आयु लंबी होती है। साथ ही संतान की रक्षा स्वयं भगवान श्रीकृष्ण करते हैं। वहीं, नवविवाहित महिलाओं को संतान की प्राप्ति होती है। अतः सुहागिन महिलाएं श्रद्धा भाव से जितिया व्रत करती हैं। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
क्या है जितिया व्रत की कथा ?
सनातन शास्त्रों की मानें तो महाभारत काल में द्रोणाचार्य की मृत्यु की खबर सुन अश्वत्थामा क्रोधित हो उठे। उस समय बदले की भावना से अश्वत्थामा पांडवों के शिविर जा पहुंचे और शिविर में सो रहे 5 लोगों की हत्या कर दी। अश्वत्थामा को लगा कि ये सभी पांडव हैं। हालांकि, शिविर में सो रहे 5 लोग पांडव नहीं थे, बल्कि द्रौपदी के पुत्र थे। यह जान अर्जुन ने अश्वत्थामा को बंदी बनाकर दिव्य मणि छीन ली। इससे अश्वत्थामा का गुस्सा और बढ़ गया।
इसके बाद अश्वत्थामा ने दिव्य शक्ति से अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे संतान की हत्या कर दी। इससे अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा बेहद दुखी हो गईं। उस समय भगवान श्रीकृष्ण अपने सभी पुण्य फल उत्तरा की अजन्मी संतान को देकर उसे नवजीवन दिया। आसान शब्दों में कहें तो उत्तरा की अजन्मी संतान को गर्भ में पुनः जीवित कर दिया। तब उत्तरा के गर्भ में पल रही संतान को जीवित्पुत्रिका नाम दिया गया। उस समय से जीवित्पुत्रिका का व्रत मनाया जाता है। सुहागिन महिलाएं संतान की लंबी आयु और रक्षा हेतु जीवित्पुत्रिका व्रत करती हैं।
महत्व
सनातन धर्म में जीवित्पुत्रिका यानी जितिया पर्व का विशेष महत्व है। इस व्रत को करने से संतान की आयु लंबी होती है। साथ ही पुत्र को आरोग्य जीवन प्राप्त होता है। इस व्रत में महिलाएं 24 घंटे तक अनवरत निर्जला उपवास रखती हैं। इस व्रत के पुण्य प्रताप से व्रती के बच्चे तेजस्वी, ओजस्वी और मेधावी होते हैं।
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 6 अक्टूबर को प्रातः काल 06 बजकर 34 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 7 अक्टूबर को सुबह 08 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अतः 6 अक्टूबर को जितिया व्रत मनाया जाएगा।
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