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Janmashtami 2022: जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण को क्यों लगाया जाता है 56 भोग, साथ ही जानें क्या चढ़ाते हैं इस भोग में

Janmashtami 2022 भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को ब्रज में श्रीकृष्ण रूप में अवतार लिया था। इस दिन मध्य रात्रि में जन्म के बाद भगवान 56 भोग चढ़ाया जाता है। 56 भोग में 56 अलग-अलग तरह के व्यंजन होते हैं। जानिए इसके पीछे का कारण।

By Shivani SinghEdited By: Published: Sat, 13 Aug 2022 09:00 AM (IST)Updated: Sat, 13 Aug 2022 10:22 PM (IST)
Janmashtami 2022: जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण को क्यों लगाया जाता है 56 भोग, साथ ही जानें क्या चढ़ाते हैं इस भोग में
Janmashtami 2022: जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण को क्यों लगाया जाता है 56 भोग

नई दिल्ली,  Janmashtami 2022: जन्माष्टमी पर्व को भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के अवसर के रूप में मनाया जाता है। लोग इस पर्व को पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ मनाते हैं। जन्माष्टमी में भगवान कृष्ण को झूला झुलाया जाता है, साथ ही पूजा के दौरान भगवान श्री कृष्ण को छप्पन भोग भी लगाया जाता है। दरअसल, जन्माष्टमी के दिन कई लोग व्रत रखते हैं। ऐसे में कृष्ण की पूजा अर्चना और भोग के बाद वे अपना व्रत खोलते हैं। ऐसे में अगर लोगों के मन में सवाल आता है कि आखिर भगवान श्री कृष्ण को 56 भोग ही क्यों लगाया जाता है? जानिए प्रसिद्ध सेलिब्रिटी ज्योतिष पंडित जगन्नाथ गुरुजी से भगवान कृष्ण को 56 भोग क्यों लगाया जाता है।

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श्रीकृष्ण को क्यों लगाते है 56 व्यंजनों का भोग

भगवान कृष्ण को 56 भोग लगाने के पीछे कई पौरणिक कथाएं प्रचलित है। इनमें से जो बता रहे हैं। पहली कथा के अनुसार, ये तो हम सभी जानते हैं कि जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण को 56 भोग लगाया जाता है। लेकिन छप्पन भोग क्यों लगाया जाता है, इसके बारे में कम ही लोग जानते होंगे। भगवान श्री कृष्ण को छप्पन भोग लगाए जाने के पीछे एक कथा प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण को पाने की चाहत में गोपियों ने मास पर्यन्त यमुना में ब्रम्ह मुहूर्त स्नान किया था। दरअसल, सभी गोपियां कृष्ण को अपने वर के रूप में देखना चाहती थीं। ऐसे में गोपियों से स्नान किया और मां कात्यायनी से कृष्ण को अपने वर के रूप में देखने की मन्नत मांगी। इसके बदले में गोपियों से मां कात्यायनी को उद्दापन में 56 तरह के आहार देने की मन्नत मांगी थी। इसी के बाद से भगवान कृष्ण को छप्पन भोग लगाया जाने लगा।

दूसरी कथा के अनुसार, इंद्रदेव के प्रकोप से ब्रजवासियों को बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था तब उन्हें लगातार सात दिन भूखा रहना पड़ा था। इसके बाद उन्हें सात दिनों और आठ पहर के हिसाब से 56 व्यंजन खिलाए गए थे। माना जाता है इस घटना के बाद से ही श्रीकृष्ण को 56 भोग लगाने की परंपरा आरंभ हुई।

56 भोग में कौन-कौन से व्यंजन शामिल होते हैं?

भगवान कृष्ण को 56 भोग लगाया जाता है। इसमें वे छप्पन आहार होते हैं, जो भगवान कृष्ण को प्रिय हैं। ये छप्पन आहार हैं-

भात, दाल, चटनी, कढ़ी, दही शाक की कढ़ी, सिखरन, शरबत, बाटी, मुरब्बा, शर्करा युक्त, बड़ा, मठरी, फेनी, पूरी, खजला, घेवर, मालपुआ, साग, अधानौ अचार, मोठ, खीर, दही, गाय का घी, मक्खन, चोला, जलेबी, मेसू,

रसगुल्ला, पगी हुई, महारायता, थूली, लौंगपूरी, खुरमा, दलिया, परिखा, सौंफ, बिलसारू, लड्डू, मलाई, रबड़ी, पापड़, सीरा), लस्सी, सुवत, मोहन, सुपारी, इलायची, फल, तांबूल, मोहन भोग, लवण, कषाय, मधुर, तिक्त, कटु

और अम्ल।

जन्माष्टमी के दिन आप भी भगवान कृष्ण को 56 भोग लगा सकते हैं। छप्पन भोग लगाने से भगवान कृष्ण प्रसन्न होते हैं और इससे आपकी हर मनोकामना भी पूरी होती है।


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