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    Brihaspati Chalisa: भगवान विष्णु की पूजा के समय करें इस चालीसा का पाठ, आर्थिक तंगी से मिलेगी निजात

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Thu, 16 May 2024 07:00 AM (IST)

    ज्योतिषियों की मानें तो कुंडली में गुरु ग्रह के मजबूत होने पर जातक को जीवन में सभी प्रकार के सांसािरक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त आर्थिक तंगी भी दूर हो जाती है। अतः व्रती गुरुवार के दिन स्नान-ध्यान के बाद विधि-विधान से जगत के पालनहार भगवान विष्णु एवं धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करती हैं।

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    Brihaspati Chalisa: भगवान विष्णु की पूजा के समय करें इस चालीसा का पाठ, आर्थिक तंगी से मिलेगी निजात

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Brihaspati Chalisa: गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को अति प्रिय है। इस दिन भगवान विष्णु संग देवगुरु बृहस्पति की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही गुरुवार का व्रत रखा जाता है। गुरुवार का व्रत करने से कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत होता है। इस व्रत को अविवाहित एवं विवाहित महिलाएं करती हैं। ज्योतिषियों की मानें तो कुंडली में गुरु मजबूत होने पर जातक को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही आर्थिक तंगी भी दूर हो जाती है। अतः व्रती गुरुवार के दिन स्नान-ध्यान के बाद विधि-विधान से केले के पौधे की पूजा करते हैं। इस समय गुरुवार व्रत कथा का पाठ करती हैं। अगर आप भी देवगुरु बृहस्पति की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो गुरुवार के दिन विधिपूर्वक भगवान विष्णु एवं बृहस्पति देव की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय बृहस्पति चालीसा का पाठ अवश्य करें।

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    श्री बृहस्पति देव चालीसा

    दोहा

    प्रन्वाऊ प्रथम गुरु चरण, बुद्धि ज्ञान गुन खान।

    श्री गणेश शारद सहित, बसों ह्रदय में आन॥

    अज्ञानी मति मंद मैं, हैं गुरुस्वामी सुजान।

    दोषों से मैं भरा हुआ हूँ तुम हो कृपा निधान॥

    चौपाई

    जय नारायण जय निखिलेशवर।

    विश्व प्रसिद्ध अखिल तंत्रेश्वर॥

    यंत्र-मंत्र विज्ञानं के ज्ञाता।

    भारत भू के प्रेम प्रेनता॥

    जब जब हुई धरम की हानि।

    सिद्धाश्रम ने पठए ज्ञानी॥

    सच्चिदानंद गुरु के प्यारे।

    सिद्धाश्रम से आप पधारे॥

    उच्चकोटि के ऋषि-मुनि स्वेच्छा।

    ओय करन धरम की रक्षा॥

    अबकी बार आपकी बारी।

    त्राहि त्राहि है धरा पुकारी॥

    मरुन्धर प्रान्त खरंटिया ग्रामा।

    मुल्तानचंद पिता कर नामा॥

    शेषशायी सपने में आये।

    माता को दर्शन दिखलाए॥

    रुपादेवि मातु अति धार्मिक।

    जनम भयो शुभ इक्कीस तारीख॥

    जन्म दिवस तिथि शुभ साधक की।

    पूजा करते आराधक की॥

    जन्म वृतन्त सुनायए नवीना।

    मंत्र नारायण नाम करि दीना॥

    नाम नारायण भव भय हारी।

    सिद्ध योगी मानव तन धारी॥

    ऋषिवर ब्रह्म तत्व से ऊर्जित।

    आत्म स्वरुप गुरु गोरवान्वित॥

    एक बार संग सखा भवन में।

    करि स्नान लगे चिन्तन में॥

    चिन्तन करत समाधि लागी।

    सुध-बुध हीन भये अनुरागी॥

    पूर्ण करि संसार की रीती।

    शंकर जैसे बने गृहस्थी॥

    अदभुत संगम प्रभु माया का।

    अवलोकन है विधि छाया का॥

    युग-युग से भव बंधन रीती।

    जंहा नारायण वाही भगवती॥

    सांसारिक मन हुए अति ग्लानी।

    तब हिमगिरी गमन की ठानी॥

    अठारह वर्ष हिमालय घूमे।

    सर्व सिद्धिया गुरु पग चूमें॥

    त्याग अटल सिद्धाश्रम आसन।

    करम भूमि आए नारायण॥

    धरा गगन ब्रह्मण में गूंजी।

    जय गुरुदेव साधना पूंजी॥

    सर्व धर्महित शिविर पुरोधा।

    कर्मक्षेत्र के अतुलित योधा॥

    ह्रदय विशाल शास्त्र भण्डारा।

    भारत का भौतिक उजियारा॥

    एक सौ छप्पन ग्रन्थ रचयिता।

    सीधी साधक विश्व विजेता॥

    प्रिय लेखक प्रिय गूढ़ प्रवक्ता।

    भूत-भविष्य के आप विधाता॥

    आयुर्वेद ज्योतिष के सागर।

    षोडश कला युक्त परमेश्वर॥

    रतन पारखी विघन हरंता।

    सन्यासी अनन्यतम संता॥

    अदभुत चमत्कार दिखलाया।

    पारद का शिवलिंग बनाया॥

    वेद पुराण शास्त्र सब गाते।

    पारेश्वर दुर्लभ कहलाते॥

    पूजा कर नित ध्यान लगावे।

    वो नर सिद्धाश्रम में जावे॥

    चारो वेद कंठ में धारे।

    पूजनीय जन-जन के प्यारे॥

    चिन्तन करत मंत्र जब गाएं।

    विश्वामित्र वशिष्ठ बुलाएं॥

    मंत्र नमो नारायण सांचा।

    ध्यानत भागत भूत-पिशाचा॥

    प्रातः कल करहि निखिलायन।

    मन प्रसन्न नित तेजस्वी तन॥

    निर्मल मन से जो भी ध्यावे।

    रिद्धि सिद्धि सुख-सम्पति पावे॥

    पथ करही नित जो चालीसा।

    शांति प्रदान करहि योगिसा॥

    अष्टोत्तर शत पाठ करत जो।

    सर्व सिद्धिया पावत जन सो॥

    श्री गुरु चरण की धारा।

    सिद्धाश्रम साधक परिवारा॥

    जय-जय-जय आनंद के स्वामी।

    बारम्बार नमामी नमामी॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।