Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Gupt Navratri June 2025: नवरात्र के नौंवें दिन करें मां सिद्धिदात्री की पूजा, नोट करें पूजन विधि

    नवरात्र के नौंवें दिन यानी नवमी तिथि को मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। उनकी पूजा करने से सिद्धियां और मोक्ष मिलता है। नवमी तिथि के दिन भी कुछ लोग कन्या भोज कराते हैं। आइए जानते हैं कैसे करें माता की पूजा और उनको प्रसन्न। 

    By Shashank Shekhar Bajpai Edited By: Shashank Shekhar Bajpai Updated: Wed, 25 Jun 2025 03:52 PM (IST)
    Hero Image

    सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं मां सिद्धिदात्री।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आषाढ़ गुप्त नवरात्र 2025 की नवमी तिथि को मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इस बार 4 जुलाई 2025 को शुक्रवार के दिन नवमी तिथि है। नौ कन्याओं को देवी के स्वरूप मानकर उन्हें कन्या भोज भी कराया जाएगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मां दुर्गा का नौवां रूप सिद्धिदात्री माता का है उनकी पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। मां के स्वरूप की बात करें, तो वह शेर पर सवार चारभुजा वाली हैं। वह कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं।

    माता सिद्धिदात्री के दाहिने हाथ में कमल पुष्प सुशोभित है। मां सिद्धिदात्री को सफेद और बैंगनी रंग अति प्रिय है। उनकी पूजा करते समय सफेद या बैंगनी रंग के कपड़े पहनने चाहिए।

    maa siddhidatri

    शिवजी ने प्राप्त की थी अष्ट सिद्धियां

    मान्यता है कि भगवान शिव ने ही सिद्धिदात्री की कृपा से आठ सिद्धियां- अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व को प्राप्त किया था।

    देवी पुराण के अनुसार, माता सिद्धिदात्री के अनुकंपा से ही उनका आदर शरीर देवी का हुआ था और वह अर्धनारीश्वर के नाम से भी प्रसिद्ध हुए। देवी सिद्धिदात्री की आराधना करने से अष्ट सिद्धियां, नौ निधियां मिलती हैं।

    इन बीज मंत्रों का जाप करें

    ‘ह्रीं क्लीं ऐें सिद्धये नमः’

    ‘या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।’

    यह भी पढ़ें- Gupt Navratri June 2025: नवरात्र के आठवें दिन करें मां गौरी की पूजा, नोट करें पूजन विधि

    ऐसे करें माता की पूजा

    नवरात्रि के नौंवे दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर मंदिर की सफाई करें। गंगाजल छिड़क कर उसे शुद्ध करें। इसके बाद में माता की फोटो या मूर्ति एक चौकी पर रखें। उनके सामने एक दीपक जलाकर कमल का पुष्प, लाल वस्त्र या चुनरी चढ़ाएं।

    माता रानी के बीज मंत्रों का जाप करें। इसके बाद नारियल, हलवा, पूड़ी, आदि का भोग लगकर दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। इसके बाद माता की आरती करें और कन्या पूजन कर खुद भी प्रसाद ग्रहण करें।

    यह भी पढ़ें- जुलाई में सूर्य, मंगल और शुक्र बदल रहे हैं गोचर, जानिए किन राशि वालों को होगा फायदा

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।