Gupt Navratri June 2025: नवरात्र के नौंवें दिन करें मां सिद्धिदात्री की पूजा, नोट करें पूजन विधि
नवरात्र के नौंवें दिन यानी नवमी तिथि को मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। उनकी पूजा करने से सिद्धियां और मोक्ष मिलता है। नवमी तिथि के दिन भी कुछ लोग कन्या भोज कराते हैं। आइए जानते हैं कैसे करें माता की पूजा और उनको प्रसन्न।
सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं मां सिद्धिदात्री।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आषाढ़ गुप्त नवरात्र 2025 की नवमी तिथि को मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इस बार 4 जुलाई 2025 को शुक्रवार के दिन नवमी तिथि है। नौ कन्याओं को देवी के स्वरूप मानकर उन्हें कन्या भोज भी कराया जाएगा।
मां दुर्गा का नौवां रूप सिद्धिदात्री माता का है उनकी पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। मां के स्वरूप की बात करें, तो वह शेर पर सवार चारभुजा वाली हैं। वह कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं।
माता सिद्धिदात्री के दाहिने हाथ में कमल पुष्प सुशोभित है। मां सिद्धिदात्री को सफेद और बैंगनी रंग अति प्रिय है। उनकी पूजा करते समय सफेद या बैंगनी रंग के कपड़े पहनने चाहिए।
शिवजी ने प्राप्त की थी अष्ट सिद्धियां
मान्यता है कि भगवान शिव ने ही सिद्धिदात्री की कृपा से आठ सिद्धियां- अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व को प्राप्त किया था।
देवी पुराण के अनुसार, माता सिद्धिदात्री के अनुकंपा से ही उनका आदर शरीर देवी का हुआ था और वह अर्धनारीश्वर के नाम से भी प्रसिद्ध हुए। देवी सिद्धिदात्री की आराधना करने से अष्ट सिद्धियां, नौ निधियां मिलती हैं।
इन बीज मंत्रों का जाप करें
‘ह्रीं क्लीं ऐें सिद्धये नमः’
‘या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।’
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ऐसे करें माता की पूजा
नवरात्रि के नौंवे दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर मंदिर की सफाई करें। गंगाजल छिड़क कर उसे शुद्ध करें। इसके बाद में माता की फोटो या मूर्ति एक चौकी पर रखें। उनके सामने एक दीपक जलाकर कमल का पुष्प, लाल वस्त्र या चुनरी चढ़ाएं।
माता रानी के बीज मंत्रों का जाप करें। इसके बाद नारियल, हलवा, पूड़ी, आदि का भोग लगकर दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। इसके बाद माता की आरती करें और कन्या पूजन कर खुद भी प्रसाद ग्रहण करें।
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