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    God Shankar Aarti: शनिवार के दिन पूजा के समय करें ये आरती, सभी संकटों से मिलेगी मुक्ति

    सनातन शास्त्रों में निहित है कि भगवान शिव की कठिन तपस्या के फलस्वरूप शनिदेव को न्याय करने का अधिकार प्राप्त हुआ। कठिन भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने शनिदेव को नवग्रहों में शीर्ष स्थान का वरदान दिया। अतः भगवान शिव की भक्ति करने वाले लोगों पर शनिदेव की विशेष कृपा बरसती है। उनकी कृपा से सभी बिगड़े काम बन जाते हैं।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sat, 25 May 2024 08:00 AM (IST)
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    God Shankar Aarti: शनिवार के दिन पूजा के समय करें ये आरती, सभी संकटों से मिलेगी मुक्ति

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। God Shankar Aarti: ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। कुंडली में शनि मजबूत होने पर जातक को धन अभाव नहीं होता है। अल्प समय में व्यक्ति रंक से राजा बन जाता है। शनि देव मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं। तुला राशि में उच्च के होते हैं, तो मेष राशि में नीच के होते हैं। शनिदेव तुला राशि के जातकों को हमेशा शुभ फल देते हैं। सनातन शास्त्रों में निहित है कि भगवान शिव की कठिन तपस्या के फलस्वरूप शनिदेव को न्याय करने का अधिकार प्राप्त हुआ। कठिन भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने शनिदेव को नवग्रहों में शीर्ष स्थान का वरदान दिया। अतः भगवान शिव की भक्ति करने वाले लोगों पर शनिदेव की विशेष कृपा बरसती है। उनकी कृपा से सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। अगर आप भी शनिदेव की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो शनिवार के दिन विधिपूर्वक भगवान शिव एवं शनिदेव की पूजा करें। इस समय शिव चालीसा और मंत्रों का जप करें। वहीं, पूजा के अंत में ये आरती जरूर करें।

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    शिव आरती

    जयति जयति जग-निवास,शंकर सुखकारी॥

    जयति जयति जग-निवास,शंकर सुखकारी॥

    जयति जयति जग-निवास...

    अजर अमर अज अरूप,सत चित आनन्दरूप।

    व्यापक ब्रह्मस्वरूप,भव! भव-भय-हारी॥

    जयति जयति जग-निवास...

    शोभित बिधुबाल भाल,सुरसरिमय जटाजाल।

    तीन नयन अति विशाल,मदन-दहन-कारी॥

    जयति जयति जग-निवास...

    भक्तहेतु धरत शूल,करत कठिन शूल फूल।

    हियकी सब हरत हूलअचल शान्तिकारी॥

    जयति जयति जग-निवास...

    अमल अरुण चरण कमलसफल करत काम सकल।

    भक्ति-मुक्ति देत विमल,माया-भ्रम-टारी॥

    जयति जयति जग-निवास...

    कार्तिकेययुत गणेश,हिमतनया सह महेश।

    राजत कैलास-देश,अकल कलाधारी॥

    जयति जयति जग-निवास...

    भूषण तन भूति ब्याल,मुण्डमाल कर कपाल।

    सिंह-चर्म हस्ति खाल,डमरू कर धारी॥

    जयति जयति जग-निवास...

    अशरण जन नित्य शरण,आशुतोष आर्तिहरण।

    सब बिधि कल्याण-करणजय जय त्रिपुरारी॥

    जयति जयति जग-निवास...

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।