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    Ganesh Aarti: गणेश जी की आरती करने से होती है शुभ फलों की प्राप्ति, दूर होते हैं सभी कष्ट

    By Suman SainiEdited By: Suman Saini
    Updated: Wed, 02 Aug 2023 08:00 AM (IST)

    Ganesh Aarti कोई भी मांगलिक कार्य आदि का शुभारंभ करने से पहले भगवान गणेश को विशेष रूप से याद किया जाता है। इससे वह कार्य बिना किसी बाधा के पूरा होता है। रोज सुबह-शाम पूजा के समय गणेश जी की आरती करने से व्यक्ति के जीवन में आ रही सभी बाधाएं दूर होती हैं। साथ ही घर-परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

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    Ganesh Aarti रोज करें गणेश जी की आरती।

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Ganesh Aarti: हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की पूजा के बाद आरती करने का विशेष महत्व है। इससे आपके परिवार पर देवताओं का आशीर्वाद बना रहता है। गणेश भगवान को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है, क्योंकि वह अपने भक्तों के सभी कष्टों को हर लेते हैं। सनातन धर्म में बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित है। ऐसे मे बुधवार के दिन भगवान गणेश की आरती करने से साधक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। आइए पढ़ते हैं गणेश जी की आरती।

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    गणेश आरती का महत्व

    पूजा के बाद आरती करना जरूरी माना गया है। इसके बिना कोई भी पूजा पूरी नहीं मानी जाती। भगवान गणेश की जी आरती करने से आपके घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर बनी रहती है। गणेश जी को बुद्धिदाता भी कहा जाता है। इसलिए गणेश जी की आरती करने से सद्बुद्धि की प्राप्ति होती है। हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य की शुरूआत करने से पहले गणेश जी को याद किया जाता है। इससे वह कार्य निर्विघ्न रूप से पूरा होता है।

    जय गणेश जय गणेश,

    जय गणेश देवा ।

    माता जाकी पार्वती,

    पिता महादेवा ॥

    एक दंत दयावंत,

    चार भुजा धारी ।

    माथे सिंदूर सोहे,

    मूसे की सवारी ॥

    जय गणेश जय गणेश,

    जय गणेश देवा ।

    माता जाकी पार्वती,

    पिता महादेवा ॥

    पान चढ़े फल चढ़े,

    और चढ़े मेवा ।

    लड्डुअन का भोग लगे,

    संत करें सेवा ॥

    जय गणेश जय गणेश,

    जय गणेश देवा ।

    माता जाकी पार्वती,

    पिता महादेवा ॥

    अंधन को आंख देत,

    कोढ़िन को काया ।

    बांझन को पुत्र देत,

    निर्धन को माया ॥

    जय गणेश जय गणेश,

    जय गणेश देवा ।

    माता जाकी पार्वती,

    पिता महादेवा ॥

    'सूर' श्याम शरण आए,

    सफल कीजे सेवा ।

    माता जाकी पार्वती,

    पिता महादेवा ॥

    जय गणेश जय गणेश,

    जय गणेश देवा ।

    माता जाकी पार्वती,

    पिता महादेवा ॥

    दीनन की लाज रखो,

    शंभु सुतकारी ।

    कामना को पूर्ण करो,

    जाऊं बलिहारी ॥

    जय गणेश जय गणेश,

    जय गणेश देवा ।

    माता जाकी पार्वती,

    पिता महादेवा ॥

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'