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    Sankata Nashana Ganapathi Stotra: आज गणेश चतुर्थी पर करें गणपति स्तोत्र का पाठ, सभी संकटों का होगा नाश

    By Kartikey TiwariEdited By:
    Updated: Wed, 25 Aug 2021 10:49 AM (IST)

    Sankata Nashana Ganapathi Stotram आज भाद्रपद माह की गणेश चतुर्थी है। आज के दिन भगवान विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा की जाती है। यदि पूजा के समय आप संकटनाशन गणपति स्तोत्र का पाठ करते हैं तो आपके जीवन के सभी संकटों को श्री गणेश जी दूर कर देते हैं।

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    Sankata Nashana Ganapathi Stotra: आज गणेश चतुर्थी पर करें गणपति स्तोत्र का पाठ, सभी संकटों का होगा नाश

    Sankata Nashana Ganapathi Stotram: आज भाद्रपद माह की गणेश चतुर्थी है। आज के दिन भगवान विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा की जाती है। उनकी कृपा से जीवन के सभी कष्टों का निवारण होता है, कार्य बिना विघ्न के सफलतापूर्वक संपन्न होते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। पूजा के समय गणेश जी को मोदक और दूर्वा अर्पित किया जाता है। ये दोनों ही उनको बहुत प्रिय हैं। आज बुधवार है और गणेश चतुर्थी भी। आज के दिन हम आपको संकटनाशन गणपति स्तोत्र के बारे में बता रहे हैं। संकटनाशन गणपति स्तोत्र का वर्णन नारद पुराण में मिलता है। यदि पूजा के समय आप संकटनाशन गणपति स्तोत्र का पाठ करते हैं, तो आपके जीवन के सभी संकटों को श्री गणेश जी दूर कर देते हैं। वे अपने भक्त को बुद्धि, विवेक, यश, वैभव आदि सभी चीजें प्रदान करते हैं।

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    पूजा के समय आप जब भी संकटनाशन गणपति स्तोत्र का पाठ करें, तो शुद्ध उच्चारण का ध्यान रखें। संकटनाशन गणपति स्तोत्र पाठ करने से गणेश जी प्रसन्न होते हैं।

    संकटनाशन गणपति स्तोत्र

    प्रणम्य शिरसा देवं गौरी विनायकम्।

    भक्तावासं स्मेर नित्यमाय्ः कामार्थसिद्धये।।

    प्रथमं वक्रतुडं च एकदंत द्वितीयकम्।

    तृतियं कृष्णपिंगात्क्षं गजववत्रं चतुर्थकम्।।

    लंबोदरं पंचम च पष्ठं विकटमेव च।

    सप्तमं विघ्नराजेंद्रं धूम्रवर्ण तथाष्टमम्।।

    नवमं भाल चंद्रं च दशमं तु विनायकम्।

    एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजानन्।।

    द्वादशैतानि नामानि त्रिसंघ्यंयः पठेन्नरः।

    न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो।।

    विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्।

    पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मो क्षार्थी लभते गतिम्।।

    जपेद्णपतिस्तोत्रं षडिभर्मासैः फलं लभते।

    संवत्सरेण सिद्धिंच लभते नात्र संशयः।।

    अष्टभ्यो ब्राह्मणे भ्यश्र्च लिखित्वा फलं लभते।।

    तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः।।

    ॥ इति श्री नारद पुराणे संकष्टनाशनं नाम श्री गणपति स्तोत्रं संपूर्णम् ॥

    डिस्क्लेमर

    ''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।''