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    Ganesh Chaturthi 2020: गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक मनाएं उत्सव, पढ़ें गणपति के चंद्रमा को श्राप देने की कथा

    By Kartikey TiwariEdited By:
    Updated: Tue, 18 Aug 2020 12:57 PM (IST)

    Ganesh Chaturthi 2020 गणेश चतुर्थी आ रही है। इसके 10 दिन बाद अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है उस दिन गणपति बप्पा का विसर्जन किया जाता है।

    Ganesh Chaturthi 2020: गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक मनाएं उत्सव, पढ़ें गणपति के चंद्रमा को श्राप देने की कथा

    Ganesh Chaturthi 2020: गणेश चतुर्थी आ रही है। इसके 10 दिन बाद अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है, उस दिन गणपति बप्पा का विसर्जन किया जाता है। हालांकि देश के अलग अलग हिस्सों में अलग-अलग दिन विसर्जन की मान्यता है, लेकिन इस बार कोरोना प्रकोप के चलते घरों में ही गणपति स्थापना का उत्सव और विसर्जन मनाएं, तो बेहतर है। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। इसे विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है। इस साल गणेश चतुर्थी 22 अगस्त दिन शनिवार को है।

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    गणेश चतुर्थी के दिन घर-घर में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की जाएगी और अगले दिन तक प्रथम पूज्य भगवान गणेश की पूजा की जाएगी। कोरोना काल के कारण इस बार सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं होंगे, मंदिरों में भी सीमित संख्या में भक्तों को फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए दर्शन की अनुमति होगी।

    अनंत चतुर्दशी तक चलता है गणेश उत्सव

    भगवान श्रीगणेश बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता हैं। उनके जन्म का उत्सव दस दिनों तक उत्साह से मनाया जाता है और अनंत चतुर्दशी पर समाप्त होता है। माना जाता है कि भगवान श्रीगणेश का जन्म मध्याह्न काल में हुआ, इसीलिए मध्याह्न के समय को श्रीगणेश की पूजा के लिए उपयुक्त माना जाता है।

    गणेश चतुर्थी को विद्या प्रारंभ

    प्राचीन काल में बच्चों का विद्या अध्ययन गणेश चतुर्थी के दिन से प्रारंभ होता था। इस दिन विधि-विधान से श्रीगणेश का पूजन करें। उन्हें वस्त्र अर्पित करें। नैवेद्य के रूप में मोदक अर्पित करें।

    चतुर्थी को न करें चंद्रमा का दर्शन

    इस दिन चंद्रमा के दर्शन को निषिद्ध किया गया है। माना जाता है कि जो व्यक्ति इस रात्रि चंद्रमा को देखते हैं, उन्हें मिथ्या कलंक भोगना होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण पर कीमती मणि चोरी करने का झूठा आरोप लगा था। ऋषि नारद के कहने पर भगवान श्रीकृष्ण ने गणेश चतुर्थी का व्रत किया और मिथ्या दोष से मुक्त हुए।

    गणेश जी ने चंद्रमा को दिया था श्राप

    चंद्रमा को अपनी सुंदरता पर अभिमान था। एक दिन श्रीगणेश को देख चन्द्रमा ने उनका उपहास कर दिया। इससे श्रीगणेश कुपित हो गए और श्राप दे दिया कि जो भी चंद्रमा को देखेगा उसे झूठा कलंक लगेगा। चंद्रमा अपनी कलाओं से रहित हो जाएगा। बाद में चंद्रमा की तपस्या से प्रसन्न होकर श्रीगणेश ने चंद्रमा को उनकी कलाओं से युक्त कर दिया और केवल एक दिन के लिए उन्हें दर्शन किए जाने के अयोग्य रहने दिया।

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