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    Sankashti Chaturthi 2025: इस स्तुति के पाठ से सभी कामों में मिलेगी सफलता, प्रसन्न होंगे गणपति बप्पा

    सनातन धर्म में एकदंत संकष्टी चतुर्थी को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार एकदंत संकष्टी चतुर्थी तिथि के दिन गणपति बप्पा की पूजा करने से साधक को सभी कामों में सफलता मिलती है। साथ ही भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sun, 11 May 2025 03:51 PM (IST)
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    Ekdant Sankashti Chaturthi 2025: कैसे करें भगवान गणेश को प्रसन्न (Pic Credit- Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को एकदंत संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। एकदंत संकष्टी चतुर्थी (Ekdant Sankashti Chaturthi 2025) के दिन गणपति बप्पा की पूजा होती है। साथ ही विशेष चीजों का दान किया जाता है। इस बार एकदंत संकष्टी चतुर्थी का पर्व 16 मई को मनाया जाएगा। इस दिन पूजा के दौरान गणेश स्तुति का पाठ करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि गणेश स्तुति का पाठ करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। साथ ही शुभ परिणाम मिलते हैं। आइए पढ़ते हैं गणेश स्तुति।

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    गणेश स्तुति -

    मुदा करात्तमोदकं सदा विमुक्तिसाधकं कलाधरावतंसकं विलासिलोकरञ्जकम्।

    अनायकैकनायकं विनाशितेभदैत्यकं नताशुभाशुनाशकं नमामि तं विनायकम् ।।

    नतेतरातिभीकरं नवोदितार्कभास्वरं नमत्सुरारिनिर्जकं नताधिकापदुद्धरम् ।

    सुरेश्वरमं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरं महेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरन्तरम् ।।

    समस्तलोकशंकरं निरस्तदैत्यकुञ्जरं दरेतरोदरं वरं वरेभवक्त्रमक्षरम् ।

    कृपाकरं क्षमाकरं मुदाकरं यशस्करं नमस्करं नमस्कृतां नमस्करोमि भास्वरम् ।।

    अकिंचनार्तिमार्जनं चिरंतनोक्तिभाजनं पुरारिपूर्वनन्दनं सुरारिगर्वचर्वणम् ।

    प्रपञ्चनाशभीषणं धनंजयादिभूषणं कपोलदानवारणं भजे पुराणवारणम् ।।

    नितान्तकान्तदन्तकान्तिमन्तकान्तकात्मजमचिन्त्यरुपमन्तहीनमन्तरायकृन्तनम्।

    हृदन्तरे निरन्तरं वसन्तमेव योगिनां तमेकदन्तमेव तं विचिन्तयामि संततम् ।। ५।।

    महागणेश पञ्चरत्नमादरेण योऽन्वहं प्रगायति प्रभातके हृदि स्मरन् गणेश्वरम् ।

    अरोगतामदोषतां सुसाहितीं सुपुत्रतां समाहितायुरष्टभूतिमभ्युपैति सोऽचिरात् ।।

    मंगलमुर्ती मोरया

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    भगवान श्री गणेश स्तुति मंत्र -

    विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय, लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय!

    नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय, गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते!!

    भक्तार्तिनाशनपराय गनेशाश्वराय, सर्वेश्वराय शुभदाय सुरेश्वराय!

    विद्याधराय विकटाय च वामनाय , भक्त प्रसन्नवरदाय नमो नमस्ते!!

    नमस्ते ब्रह्मरूपाय विष्णुरूपाय ते नम:!

    नमस्ते रुद्राय्रुपाय करिरुपाय ते नम:!!

    विश्वरूपस्वरूपाय नमस्ते ब्रह्मचारणे!

    भक्तप्रियाय देवाय नमस्तुभ्यं विनायक!!

    लम्बोदर नमस्तुभ्यं सततं मोदकप्रिय!

    निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा!!

    त्वां विघ्नशत्रुदलनेति च सुन्दरेति ,

    भक्तप्रियेति सुखदेति फलप्रदेति!

    विद्याप्रत्यघहरेति च ये स्तुवन्ति,

    तेभ्यो गणेश वरदो भव नित्यमेव!!

    गणेशपूजने कर्म यन्न्यूनमधिकं कृतम !

    तेन सर्वेण सर्वात्मा प्रसन्नोSस्तु सदा मम !!

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।