Ekdant Sankashti Chaturthi 2025: कब है एकदंत संकष्टी चतुर्थी? इस मुहूर्त में करें गणपति बप्पा की पूजा
सनातन धर्म में शुभ और मांगलिक काम में सर्वप्रथम महादेव के पुत्र गणपति बप्पा की पूजा होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार गणेश जी की उपासना करने से सभी काम सफल होते हैं और कोई बाधा नहीं आती है। वहीं चतुर्थी तिथि पर विघ्नहर्ता की पूजा करना शुभ माना जाता है। इससे साधक को जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता के नाम से जाना जाता है, क्योंकि रोजाना विधिपूर्वक भगवान गणेश की पूजा करने से साधक को सभी बाधाओं से छुटकारा मिलता है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। वहीं, हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने का विधान है। वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष में एकदंत संकष्टी चतुर्थी (Ekdant Sankashti Chaturthi 2025) का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भक्त गणपति बप्पा की कृपा प्राप्त करने के लिए व्रत भी करते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि एकदंत संकष्टी चतुर्थी की डेट और शुभ मुहूर्त के बारे में।
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एकदंत संकष्टी चतुर्थी 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Ekdant Sankashti Chaturthi 2025 Date and Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 16 मई को सुबह 04 बजकर 02 मिनट पर होगा और अगले दिन यानी 17 मई को सुबह 05 बजकर 13 मिनट पर तिथि खत्म होगी। इस प्रकार से एकदंत संकष्टी चतुर्थी का पर्व 16 मई को मनाया जाएगा।
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पंचांग
सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 30 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 06 मिनट पर
चंद्रोदय- रात 10 बजकर 39 मिनट पर
चंद्रास्त- दोपहर 01 बजकर 01 मिनट पर
शुभ समय (Today Shubh Muhurat)
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 06 मिनट से 04 बजकर 48 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 34 मिनट से 03 बजकर 28 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 04 मिनट से 07 बजकर 25 मिनट तक
निशिता मुहूर्त- रात 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 38 मिनट तक
एकदंत संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (Ekdant Sankashti Chaturthi Puja Vidhi)
- चतुर्थी तिथि के दिन की शुरुआत देवी-देवता के ध्यान से करें।
- स्नान करने के बाद मंदिर की सफाई करें।
- चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश की प्रतिमा को विराजमान करें।
- गणपति बप्पा को पीला चंदन लगाएं और पुष्प अर्पित करें।
- देसी घी का दीपक जलाकर आरती करें।
- मोदक, फल और मिठाई समेत आदि चीजों का भोग लगाएं।
- गणेश जी के मंत्रों का जप और गणेश चालीसा का पाठ करें।
- आखिरी में लोगों में प्रसाद बाटें।
भगवान गणेश के मंत्र
1. ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥
2. गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥
विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत् ॥
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत् क्वचित् ।
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