Durva Grass in Puja: बहुत खास है आम-सी दिखने वाली दूर्वा घास, गणेश जी को है प्रिय
Durva Grass in Puja हिंदू धर्म में पूजा-पाठ के लिए कई तरह की सामग्री आवश्यक मानी गई है। इन सभी सामग्री का अपना-अपना महत्व है। इन्हीं में से एक है पूजा के लिए इस्तेमाल होने वाली घास जिसे दूर्वा या दूब कहा जाता है। आइए जानते हैं कि दूब की उत्पत्ति कैसे हुई और क्यों इसे पूजा-पाठ में इतना महत्व दिया जाता है।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Durva Grass in Puja: दूर्वा या दूब को हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र माना गया है। पूजा-पाठ और मांगलिक कार्यों में इसका विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है।इस पवित्र घास का इस्तेमाल मुख्य रूप से गणेश भगवान की पूजा में किया जाता है। इसके बिना कोई भी पूजा-पाठ अधूरा समझा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका इतना महत्व क्यों है।
दूर्वा का महत्व
पूजा-पाठ, यज्ञ, अनुष्ठान जैसे कई सारे मांगलिक कार्यों में दूब का विशेष रूप से इस्तेमाल किया जाता है। दूब के बिना किसी भी प्रकार का मांगलिक कार्य पूरा नहीं माना जाता। आयुर्वेद में दूब, त्रिदोष को हरने वाली औषधि कही जाती है। धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ इसके कई शारीरिक लाभ भी हैं।
कैसे हुई दूर्वा की उत्पत्ति
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दूर्वा या दूब घास की उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी। इसलिए इसे इतना पवित्र माना गया है। दूर्वा का इतना धार्मिक महत्व होने के पीछे एक अन्य कथा भी प्रचलित है। इस कथा के अनुसार, सरयू नदी में जब माता सीता ने अपने ससुर राजा दशरथ का श्राद्ध किया था तब दूर्वा साक्षी बनी थी। तब माता सीती ने दूर्वा को साक्षी बनने पर अमर और सदैव हरे-भरे रहने का आशीर्वाद दिया था।
भगवान गणेश को चढ़ाएं कितनी दूब
भगवान गणेश के अलावा भगवान शिव, दुर्गा माता, मां लक्ष्मी और माता सरस्वती समेत कई देवी-देवताओं के पूजन में दुर्गा का इस्तेमाल किया जाता है। भगवान गणेश की पूजा में 21 दूर्वा चढ़ाने से भगवान गणेश की असीम कृपा प्राप्त होती है।
घर में कैसे लगाएं दूध
दूध को लगाना बहुत ही आसान है। इसके लिए बस एक बड़े आकार के गमले में मिट्टी रखकर इसमें दूब की जड़ लगाते लगाते जाएं और पानी डालें। इस घास को खास देखभाल की जरूरत भी नहीं होती।
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