Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Sankatnashan Ganesh Stotram: आज करें संकटनाशन गणेश स्तोत्रं का पाठ, धन संकट होगा दूर

    By Kartikey TiwariEdited By:
    Updated: Wed, 22 Sep 2021 02:25 PM (IST)

    Sankatnashan Ganesh Stotram आज बुधवार का दिन विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की आराधना के लिए है। आपको पता है कि गणेश जी प्रथम पूज्य हैं। उनकी कृपा से सभी कार्य सफलता पूर्वक होते हैं। काम में आने वाली बाधा भी उनके नाम मात्र के स्मरण से दूर हो जाती है।

    Hero Image
    Sankatnashan Ganesh Stotram: आज करें संकटनाशन गणेश स्तोत्रं का पाठ, धन संकट होगा दूर

    Sankatnashan Ganesh Stotram: आज बुधवार का दिन विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की आराधना के लिए समर्पित होता है। आपको पता है कि गणेश जी प्रथम पूज्य हैं। उनकी कृपा से सभी कार्य सफलता पूर्वक होते हैं। काम में आने वाली बाधा भी उनके नाम मात्र के स्मरण से दूर हो जाती है। गणेश जी तो स्वयं शुभता के प्रतीक हैं। वे बल, बुद्धि के स्वामी दाता हैं। इतना ही नहीं, वे अपने भक्तों के सभी दुख भी दूर करते हैं। चाहें वो शारीरिक कष्ट हो या फिर आर्थिक संकट।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आप भी चाहते हैं कि आपके जीवन से धन का संकट दूर हो जाए, जीवन में दरिद्रता न हो, तो इसके लिए आपको बुधवार या फिर चतुर्थी के दिन विधिपूर्वक संकटनाशन गणेश स्तोत्रं का पाठ करना चाहिए। इसके पाठ से भगवान गणेश जी अत्यंत प्रसन्न होते हैं और प्रचूर धन प्राप्ति का आशीष देते हैं। आप चाहें तो प्रत्येक दिन स्नान आदि से निवृत होकर संकटनाशन गणेश स्तोत्रं का पाठ कर सकते हैं। आइए जानते हैं संकटनाशन गणेश स्तोत्रं के बारे में।

    संकटनाशन गणेश स्तोत्रं

    प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम।

    भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये।।

    प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम।

    तृतीयं कृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम।।

    लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च।

    सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण तथाष्टकम्।।

    नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम।

    एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम।।

    द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर:।

    न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो।।

    विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्।

    पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम्।।

    जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत्।

    संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय:।।

    अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वां य: समर्पयेत।

    तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत:।।

    पाठ के बाद आप चाहें तो गणेश जी के मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं। पूजा में गणेश जी को मोदक और दूर्वा अवश्य अर्पित करें।

    डिस्क्लेमर

    ''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।''