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    Diwali 2021 Lakshmi Katha: दीपावली पर करें मां लक्ष्मी की पौराणिक कथा का पाठ, पूरी होंगी सभी मनोकामनाएं

    By Jeetesh KumarEdited By:
    Updated: Thu, 04 Nov 2021 08:17 AM (IST)

    Diwali 2021 Lakshmi Katha कार्तिक अमावस्या के दिन लक्ष्मी पूजन का महापर्व दीपावली मनाया जाता है। दीपावली के पूजन में मां लक्ष्मी की पौराणिक कथा और आरती का पाठ जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से पूजन सफल होता है और घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है....

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    Diwali 2021 Lakshmi Katha: दीपावली पर करें मां लक्ष्मी की पौराणिक कथा का पाठ, पूरी होंगी सभी मनोकामनाएं

    Diwali 2021 Lakshmi Katha: कार्तिक अमावस्या के दिन लक्ष्मी पूजन का महापर्व दीपावली मनाया जाता है। इस दिन लक्ष्मी गणेश के पूजन का विधान है। इसके साथ ही मान्यता है कि इस दिन ही भगवान श्री राम लंका विजय कर अयोध्या लौटे थे। जिसकी खुशी में अयोध्या वासियों ने पूरे नगर में दीप जला कर दीपोत्सव मनाया था। इसी उपलक्ष्य में हम आज भी दीपावली का पर्व मनाते हैं। ये दिन मां लक्ष्मी के पूजन के लिए विशेष है। मान्यता है कि इस दिन लक्ष्मी जी का विधि पूर्वक पूजन करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। दीपावली के पूजन में मां लक्ष्मी की पौराणिक कथा और आरती का पाठ जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से मां लक्ष्मी का पूजन सफल होता है और घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है....

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    दीपावली की पौराणिक कथा

    पौराणिक कथा के अनुसार एक साहुकार था, उसकी बेटी प्रतिदिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने जाती थी। पीपल पर लक्ष्मी जी का वास माना जाता है। एक दिन लक्ष्मी जी ने प्रकट हो कर साहुकार की बेटी से कहा तुम मेरी सहेली बन जाओ। उसने पिता से पूछकर उत्तर देने को कहा। पिता जी के हां कहने पर साहूकार की बेटी ने लक्ष्मी जी को सहेली बनाना स्वीकार कर लिया।

    एक दिन मां लक्ष्मी साहुकार की बेटी को अपने घर ले गई। लक्ष्मी जी दे उसे ओढ़ने के लिए दुशाला दिया तथा सोने की बनी चौकी पर बैठाया। सोने की थाली में उसे अनेक प्रकार के व्यंजन खिलाए। जब साहुकार की बेटी अपने घर को लौटने लगी तो लक्ष्मी जी ने कहा कि “तुम मुझे अपने घर कब बुला रही हो”।

    साहूकार की पुत्री ने पहले तो आनाकानी की परन्तु फिर तैयार हो गई । लेकिन घर जाकर वह उदास होकर पिता से बोली की “लक्ष्मी जी ने तो मुझे इतना दिया और बहुत सुन्दर भोजन कराया। मैं उनकी किस तरह सेवा करूं, हमारे घर में तो उसकी अपेक्षा कुछ भी नहीं हैं।” तब साहूकार ने कहा जो अपने से बनेगा वही खातिर करेंगे।

    तुम जा कर गोबर मिट्टी से चौका लगाकर सफाई कर दो। चौमुखा दीपक जला कर लक्ष्मी जी का नाम लेकर बैठ जाना । तभी एक चील किसी रानी का नौलखा हार उसके पास गिरा गई। साहूकार की बेटी ने उस हार को बेचकर सोने की चौकी, सोने का थाल, शाल-दुशाला और अनेक प्रकार के भोजन की तैयारी कर ली। थोड़ी देर बाद मां लक्ष्मी उसके घर आईं। साहूकार की बेटी ने बैठने के लिए उन्हें सोने की चौकी दी।

    लक्ष्मी जी ने चौकी पर बैठने से मना किया और कहा कि इस पर तो राजा रानी बैठते हैं। तब साहूकार की बेटी ने लक्ष्मी जी को जबरदस्ती चौकी पर बैठा दिया। लक्ष्मी जी की उसने बहुत खातिर की इससे मां लक्ष्मी बहुत प्रसन्न हुई। मां लक्ष्मी के आशीर्वाद से साहूकार बहुत अमीर बन गया। हे मां लक्ष्मी ! जैसे तुमने साहूकार की बेटी की चौकी स्वीकार की और बहुत सा धन दिया वैसे ही सबको धन-धान्य प्रदान करों ।

    जय लक्ष्मी मैय्या की। जय लक्ष्मी मैय्या की। जय लक्ष्मी मैय्या की।

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'