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    Diwali Lakshmi Puja Muhurat: दीपावली पर इस मुहूर्त में करें माता लक्ष्मी की आराधना, जानें पूजा विधि, मंत्र, आरती और सामग्री

    By kartikey.tiwariEdited By:
    Updated: Mon, 28 Oct 2019 07:26 AM (IST)

    Diwali Lakshmi Puja Muhurat माता लक्ष्मी की पूजा को समर्पित दिवाली का त्योहार आज पूरे देशभर में मनाया जा रहा है। जानें माता लक्ष्मी की पूजा विधि मंत्र और आरती।

    Diwali Lakshmi Puja Muhurat: दीपावली पर इस मुहूर्त में करें माता लक्ष्मी की आराधना, जानें पूजा विधि, मंत्र, आरती और सामग्री

    Diwali Lakshmi Puja Muhurat: माता लक्ष्मी की पूजा को समर्पित दिवाली का त्योहार आज पूरे देशभर में मनाया जा रहा है, माता लक्ष्मी धन और वैभव देने वाली हैं। यह हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। इस दिन माता लक्ष्मी, भगवान श्री गणेश, कुबेर और देवों के राजा इंद्र की विशेष पूजा होती है। माता लक्ष्मी प्रसन्न होकर अपने भक्तों की सभी परेशानियों को दूर करती हैं, धन, संपदा, वैभव, ऐश्वर्य से उसके जीवन को भर देती हैं। दीपावली के दिन शुभ मुहूर्त में पूजा करना ज्यादा फलित होता है। 

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    दीपावली के लिए पूजा सामग्री

    कलावा, रोली, सिंदूर, हल्दी। कलश के लिए पानी वाला एक नारियल, एक सूखा नारियल, अक्षत्, लक्ष्मी जी और गणेश जी के लिए लाल तथा पीले वस्त्र, फूल, पांच सुपारी, लौंग, पान के पत्ते, गाय का घी, कलश, आम के पत्ते, चौकी, हवन कुण्ड, हवन सामग्री, कमल गट्टा। अगरबत्ती, कुमकुम, इत्र, दीपक, रूई, आरती की थाली, कुशा और लाल चंदन। इसके अलावा सूप और डमरू।

    पंचामृत के लिए दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल। प्रसाद के लिए फल, बताशे, मिठाइयां, खील और शक्कर के खिलौने।

    आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य पं. गणेश प्रसाद मिश्र से दीपावली को लक्ष्मी पूजा के शुभ मुहूर्त और माता लक्ष्मी, कुबेर और इंद्र के प्रार्थना मंत्र के बारे में—

    दीपावली मुहूर्त

    अमावस्या तिथि: रविवार 27 अक्टूबर को दिन में 11:51 बजे से प्रारंभ होकर सोमवार 28 अक्टूबर को दिन में 09:14 बजे तक।

    निर्णय सिन्धु के अनुसार, प्रदोष काल में ही दीपावली मनाई जाती है। ऐसे में प्रदोष काल 27 अक्टूबर को ही है, तो दीपावली रविवार को ही मनेगी।

    लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त

    प्रदोष काल: शाम 05:19 बजे से 07:53 बजे तक।

    खाता पूजन: स्थिर लग्न वृश्चिक, दिन में सुबह 07:59 बजे से लेकर 10:16 तक। कुम्भ स्थिर लग्न दोपहर में 2:09 बजे से 3:40 बजे तक।

    लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: वृष स्थिर लग्न रात्रि में 6:45 बजे से 8:41 बजे तक।

    दिपावली के दिन स्थिर लग्न में माता लक्ष्मी की पूजा करना ज्यादा लाभप्रद होता है।

    तांत्रिक पूजा: तांत्रिक पूजा के लिए महानिशीथ काल लगभग देर रात 12:40 से 02:00 बजे तक है।

    लक्ष्मी प्रा​र्थना मंत्र

    'नमस्ते सर्वगेवानां वरदासि हरे: प्रिया।

    या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां या सा मे भूयात्वदर्चनात्।।'

    इंद्र प्रा​र्थना मंत्र

    ' ऐरावतसमारूढो वज्रहस्तो महाबल:।

    शतयज्ञाधिपो देवस्तस्मा इन्द्राय ते नम:।।'

    कुबेर प्रा​र्थना मंत्र

    'धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च।

    भवन्त त्वत्प्रसादान्मे धनधान्यादि सम्पद:।।'

    लक्ष्मी पूजा की विधि

    ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट के अनुसार, इस बार दीपावली पर पद्य योग बन रहा है। ऐसे में यदि आप माता लक्ष्मी को 16 सफेद कमल अर्पित करते हैं तो आपको स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होगी। इस दीपावली पर माता लक्ष्मी को शमी पत्र और केसरिया रंग का फूल अवश्य अर्पित करें।

    दीपावली की संध्या में स्नानादि करके पूजा स्थल पर चौकी रखें। उस पर लाल और पीला वस्त्र रखकर माता लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें। गणेश जी के दाएं भाग में माता लक्ष्मी को स्थान देना चाहिए। फिर कलश स्थापना करें। इसके बाद माता लक्ष्मी, श्री गणेश, कुबेर और इंद्र को क्रमश: चंदन, अक्षत्, दुर्वा, सुपारी, नारियल, इत्र, गंध, लौंग, मिठाई आदि अर्पित कर, विधिपूर्वक पूजा करें।

    माता लक्ष्मी को 16 सफेद कमल, शमी पत्र और केसरिया रंग का फूल अर्पित करें। सफ़ेद बर्फ़ी या किशमिश का भोग लगाएं। वहीं गणेश जी को मोदक या लड्डू का भोग लगाएं। पूजा के दौरान माता लक्ष्मी के महामंत्र या बीज मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।

    1. श्री लक्ष्मी महामंत्र: “ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।”

    2. श्री लक्ष्मी बीज मन्त्र: “ॐ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।”

    हवन— सफेद तिल, कमलगट्टा, कटी हुई गरी और गाय के घी को आपस में मिलाकर माता लक्ष्मी का हवन करें।

    हवन के बाद कपूर या गाय के घी से गणेश जी की आरती और माता लक्ष्मी का आरती करें। फिर डमरू और सूप बजाकर घर से अलक्ष्मी को बाहर करें। इसके पश्चात बताशे, मिठाइयां, खील और शक्कर के खिलौने प्रसाद स्वरूप सब में बांट दें।

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