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    Dhanteras 2025: इस आरती के बिना अधूरी है भगवान धन्वंतरि की पूजा, धन से भर जाएगी तिजोरी

    Updated: Sat, 18 Oct 2025 08:16 AM (IST)

    सनातन शास्त्रों में निहित है कि चिर काल में समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इस वजह से हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन धनतेरस (Dhanteras 2025) मनाया जाता है। 

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    Dhanteras 2025: धनतेरस का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। धनतेरस का त्योहार देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस शुभ अवसर पर आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि और धन की देवी मां लक्ष्मी की भक्ति भाव से पूजा की जा रही है। साथ ही स्वर्ण आभूषणों की खरीदारी की जा रही है।

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    dhanteras mantra

    धनतेरस के दिन सोने और चांदी की खरीदारी करने से घर में सुख और समृद्धि आती है। साथ ही भगवान धन्वंतरि की कृपा साधक पर बरसती है।

    अगर आप भी भगवान धन्वंतरि की कृपा पाना चाहते हैं, तो धनतेरस (Dhanteras 2025) के दिन भक्ति भाव से भगवान धन्वंतरि की पूजा करें। पूजा के समय धन्वंतरि चालीसा का पाठ करें और समापन भगवान धन्वंतरि और मां लक्ष्मी की आरती करें।

    धन्वंतरि जी की आरती (Dhanvantari Ji Ki Aarti)

    जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।

    जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।

    जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।।

    तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए।

    देवासुर के संकट आकर दूर किए।।

    जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।

    आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया।

    सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।।

    जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।

    भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी।

    आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी।।

    जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।

    तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे।

    असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे।।

    जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।

    हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा।

    वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा।।

    जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।

    धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे।

    रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे।।

    जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।

    मां लक्ष्मी की आरती

    dhanteras

    ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता

    तुम को निश दिन सेवत, हर विष्णु विधाता

    ॐ जय लक्ष्मी माता।।

    उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग माता

    सूर्य चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता

    ॐ जय लक्ष्मी माता।।

    दुर्गा रूप निरंजनि, सुख सम्पति दाता

    जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धि धन पाता

    ॐ जय लक्ष्मी माता।।

    तुम पाताल निवासिनी, तुम ही शुभ दाता

    कर्म प्रभाव प्रकाशिनी, भव निधि की त्राता

    ॐ जय लक्ष्मी माता।।

    जिस घर तुम रहती सब सद्‍गुण आता

    सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता

    ॐ जय लक्ष्मी माता।।

    तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता

    खान पान का वैभव, सब तुमसे आता

    ॐ जय लक्ष्मी माता।।

    शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता

    रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता

    ॐ जय लक्ष्मी माता।।

    महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई नर गाता

    उर आनंद समाता, पाप उतर जाता

    ॐ जय लक्ष्मी माता।।

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