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    Dhanteras 2024: भगवान धन्वंतरि की पूजा के समय करें यह चालीसा का पाठ, आय और सौभाग्य में होगी वृद्धि

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Tue, 22 Oct 2024 08:00 PM (IST)

    सनातन शास्त्रों में निहित है कि समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसके लिए हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाया जाता है। इस वर्ष 29 अक्टूबर को धनतेरस है। इस शुभ अवसर पर भगवान धन्वन्तरि (Dhanteras 2024) की पूजा की जाती है। साथ ही आर्थिक स्थिति के अनुसार खरीदारी की जाती है।

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    Dhanteras 2024: भगवान धन्वंतरि को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाया जाता है। इस वर्ष 29 अक्टूबर को धनतेरस मनाया जाएगा। इस शुभ तिथि पर भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। साथ ही सोने-चांदी से निर्मित आभूषणों की खरीदारी की जाती है। इसके साथ ही धनतेरस के दिन वाहन की भी खरीदारी की जाती है। धार्मिक मत है कि धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इसके साथ ही आर्थिक तंगी भी दूर होती है। अगर आप भी भगवान धन्वंतरि की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो धनतेरस (Dhanteras 2024) के दिन विधि-विधान से भगवान धन्वंतरि की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय भगवान धन्वंतरि चालीसा का पाठ करें।

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    भगवान धन्वंतरि चालीसा

    ॥ दोहा ॥

    करूं वंदना गुरू चरण रज, ह्रदय राखी श्री राम।

    मातृ पितृ चरण नमन करूं, प्रभु कीर्ति करूँ बखान

    तव कीर्ति आदि अनंत है , विष्णुअवतार भिषक महान।

    हृदय में आकर विराजिए, जय धन्वंतरि भगवान ॥

    ॥  चौपाई ॥

    जय धनवंतरि जय रोगारी। सुनलो प्रभु तुम अरज हमारी ॥

    तुम्हारी महिमा सब जन गावें। सकल साधुजन हिय हरषावे ॥

    शाश्वत है आयुर्वेद विज्ञाना। तुम्हरी कृपा से सब जग जाना ॥

    कथा अनोखी सुनी प्रकाशा। वेदों में ज्यूँ लिखी ऋषि व्यासा ॥

    कुपित भयऊ तब ऋषि दुर्वासा। दीन्हा सब देवन को श्रापा ॥

    श्री हीन भये सब तबहि। दर दर भटके हुए दरिद्र हि ॥

    सकल मिलत गए ब्रह्मा लोका। ब्रह्म विलोकत भये हुँ अशोका ॥

    परम पिता ने युक्ति विचारी। सकल समीप गए त्रिपुरारी ॥

    उमापति संग सकल पधारे। रमा पति के चरण पखारे ॥

    आपकी माया आप ही जाने। सकल बद्धकर खड़े पयाने ॥

    इक उपाय है आप हि बोले। सकल औषध सिंधु में घोंले ॥

    क्षीर सिंधु में औषध डारी। तनिक हंसे प्रभु लीला धारी ॥

    मंदराचल की मथानी बनाई। दानवो से अगुवाई कराई ॥

    देव जनो को पीछे लगाया। तल पृष्ठ को स्वयं हाथ लगाया ॥

    मंथन हुआ भयंकर भारी। तब जन्मे प्रभु लीलाधारी ॥

    अंश अवतार तब आप ही लीन्हा। धनवंतरि तेहि नामहि दीन्हा ॥

    सौम्य चतुर्भुज रूप बनाया। स्तवन सब देवों ने गाया ॥

    अमृत कलश लिए एक भुजा। आयुर्वेद औषध कर दूजा ॥

    जन्म कथा है बड़ी निराली। सिंधु में उपजे घृत ज्यों मथानी ॥

    सकल देवन को दीन्ही कान्ति। अमर वैभव से मिटी अशांति ॥

    कल्पवृक्ष के आप है सहोदर। जीव जंतु के आप है सहचर ॥

    तुम्हरी कृपा से आरोग्य पावा। सुदृढ़ वपु अरु ज्ञान बढ़ावा ॥

    देव भिषक अश्विनी कुमारा। स्तुति करत सब भिषक परिवारा ॥

    धर्म अर्थ काम अरु मोक्षा। आरोग्य है सर्वोत्तम शिक्षा ॥

    तुम्हरी कृपा से धन्व राजा। बना तपस्वी नर भू राजा ॥

    तनय बन धन्व घर आये। अब्ज रूप धन्वंतरि कहलाये ॥

    सकल ज्ञान कौशिक ऋषि पाये। कौशिक पौत्र सुश्रुत कहलाये ॥

    आठ अंग में किया विभाजन। विविध रूप में गावें सज्जन ॥

    अथर्व वेद से विग्रह कीन्हा। आयुर्वेद नाम तेहि दीन्हा ॥

    काय ,बाल, ग्रह, उर्ध्वांग चिकित्सा। शल्य, जरा, दृष्ट्र, वाजी सा ॥

    माधव निदान, चरक चिकित्सा। कश्यप बाल , शल्य सुश्रुता ॥

    जय अष्टांग जय चरक संहिता। जय माधव जय सुश्रुत संहिता ॥

    आप है सब रोगों के शत्रु। उदर नेत्र मष्तिक अरु जत्रु ॥

    सकल औषध में है व्यापी। भिषक मित्र आतुर के साथी ॥

    विश्वामित्र ब्रह्म ऋषि ज्ञान। सकल औषध ज्ञान बखानि ॥

    भारद्वाज ऋषि ने भी गाया। सकल ज्ञान शिष्यों को सुनाया ॥

    काय चिकित्सा बनी एक शाखा। जग में फहरी शल्य पताका ॥

    कौशिक कुल में जन्मा दासा। भिषकवर नाम वेद प्रकाशा ॥

    धन्वंतरि का लिखा चालीसा। नित्य गावे होवे वाजी सा ॥

    जो कोई इसको नित्य ध्यावे। बल वैभव सम्पन्न तन पावें ॥

    ॥  दोहा ॥

    रोग शोक सन्ताप हरण, अमृत कलश लिए हाथ।

    जरा व्याधि मद लोभ मोह, हरण करो भिषक नाथ ॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।