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    Dev Diwali 2022: इस साल देव दिवाली पर चंद्रग्रहण का साया, जानिए देव दीपावली की सही तिथि, कारण और महत्व

    By Shivani SinghEdited By:
    Updated: Mon, 17 Oct 2022 11:41 AM (IST)

    Dev Diwali 2022 इस साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण के साथ देव दिवाली का पर्व मनाया जाता है। पूर्णिमा तिथि दो दिन होने के कारण देव दीपावली की तिथि को लेकर काफी असमंजस है। जानिए देव दिवाली किस दिन मनाना होगा शुभ।

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    Dev Diwali 2022: जानिए देव दीपावली की सही तिथि, कारण और महत्व

    नई दिल्ली, Dev Diwali 2022: हर साल देव दिवाली का पर्व दीपावली के 15 दिनों के बाद मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार,कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि के दिन देव दिवाली का पर्व मनाया जाता है। लेकिन इस साल इस दिन चंद्र ग्रहण भी पड़ रहा है। ऐसे में देव दिवाली की तिथि को लेकर थोड़ा सा असमंजस है कि आखिर किस दिन देव दिवाली का पर्व मनाना शुभ होगा।

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    शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि देव दिवाली के दिन देवता काशी की पवित्र भूमि में आते हैं। इसी कारण इस दिन काशी के नदी तट को दीपों से सजाया जाता है।

    देव दीपावली 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त

    तिथि- 7 नवंबर 2022, सोमवार

    कार्तिक पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - 7 नवंबर 2022 को शाम 0 4 बजकर 15 मिनट से शुरू

    कार्तिक पूर्णिमा तिथि समाप्त - 8 नवंबर 2022 को शाम 04 बजकर 31 मिनट तक

    प्रदोष काल देव दीपावली मुहूर्त - शाम 05 बजकर 14 मिनट से 07 बजकर 49 मिनट तक

    अवधि - 02 घंटे 35 मिनट तक

    अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:43 से दोपहर 12:26 मिनट तक

    कब है चंद्र ग्रहण 2022?

    साल 2022 का दूसरा और आखिरी चंद्रग्रहण भारतीय समय के अनुसार 8 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 32 मिनट से शाम 7 बजकर 27 बजे तक लगेगा।

    देव दीपावली 2022 महत्व

    देव दिवाली का पर्व खास दीपावली के 15 दिनों के बाद मनाई जाती है। इस दिन गंगा स्नान का अधिक महत्व है माना जाता है कि इस दिन देवता धरती में आकर गंगा स्नान करते हैं। इसके साथ ही दीपदान करना भी शुभ माना जाता है।

    क्यों कहा जाता है देव दिवाली?

    शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को ही भगवान शिव से त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था। इसी कारण इस दिन को खुशियों के रूप में मनाया जाता है। इस राक्षस के वध होने से देवी-देवताओं से खुशियां मनाई थी और काशी की तट पर दीपक जलाए थे। इसी कारण हर साल इस दिन दीपदान और स्नान करना का शुभ माना जाता है।

    Pic Credit- Freepik

    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।