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    Chitragupta Puja 2021: आज है चित्रगुप्त और कलम-दवात की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

    By Jeetesh KumarEdited By:
    Updated: Sat, 06 Nov 2021 07:50 AM (IST)

    Chitragupta Puja 2021 कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया के दिन कायस्थ कुल के इष्ट भगवान चित्रगु्प्त और कलम-दवात की पूजा का विधान है। आइए जानते हैं चित्रगुप्त और कलम-दवात पूजा के शुभ मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में।

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    Chitragupta Puja 2021: आज है चित्रगुप्त और कलम-दवात की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

    Chitragupta Puja 2021:कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन भाई दूज और यम द्वितिया का पर्व मनाया जाता है। इसी दिन कायस्थ कुल के इष्ट श्री चित्रगु्प्त की भी पूजा की जाती है। इतना ही नहीं इस दिन कलम-दवात और बहीखातों की पूजा का भी विधान है। इस साल चित्रगुप्त की पूजा 6 नवंबर, दिन शनिवार को की जाएगी। चित्रगुप्त भगवान को यमराज का सहयोगी माना जाता है। मान्यता है कि चित्रगुप्त सभी प्राणियों के अच्छे-बुरे कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। उनकी लेखनी के आधार पर ही लोगों के स्वर्ग और नर्क निर्णय होता है। चित्रगुप्त भगवान को कायस्थ समाज का इष्ट देव माना जाता है। आइए जानते हैं चित्रगुप्त और कलम-दवात पूजा के शुभ मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में।

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    चित्रगुप्त पूजा की तिथि और शुभ मुहूर्त

    हिंदी पंचांग के अनुसार चित्रगुप्त की पूजा 6 नवंबर, दिन शनिवार को की जाएगी। चित्रगुप्त की पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन होती है। द्वितीया तिथि 5 नवंबर ,शुक्रवार को रात्रि 11 बजकर 15 मिनट पर प्रारंभ होगी और 6 नवंबर, शनिवार को शाम को 7 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगी। इस दिन चित्रगुप्त जी की पूजा करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1:15 मिनट से शाम को 3:25 मिनट तक है।

    चित्रगुप्त और कलम-दवात की पूजन विधि -

    यम द्वितिया के दिन भगवान चित्रगुप्त का पूजन करने के लिए प्रातः काल स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। इसके बाद एक चौकी पर लाल रंग का आसन बिछा कर भगवान चित्रगुप्त की तस्वीर रखें और कलश स्थापना करें । इनके साथ लेखनीधारी चित्रगुप्त के पास अपनी कलम और दवात को भी रखें। इसके बाद अक्षत, रोली, सिन्दूर, पुष्प, धूप-दीप और मिष्ठान आदि अर्पित करें।कलम – दवात पर मौली बांध कर, रोली अक्षत चढ़ाएं। सफेद कागज पर रोली से स्वास्तिक बना कर कलम से इष्ट देव का नाम लिखें। कागज में खील, बताशे रख कर चित्रगुप्त को अर्पित कर दें। इसके बाद हवन कर, भगवान चित्रगुप्त की स्तुति और आरती करनी चाहिए। मान्यता है ऐसा करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति को मृत्यु के बाद नर्क के कष्ट नहीं भोगने का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'