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    Shri Ram Mantra: एक दिन की पूजा में हनुमान जी को करना चाहते हैं प्रसन्न, तो इन खास मंत्रों का करें जाप

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Mon, 10 Apr 2023 02:16 PM (IST)

    Shri Ram Mantra ज्योतिषियों की मानें तो मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा उपासना करने से साढ़ेसाती और शनि की ढैया का प्रभाव क्षीण हो जाता है। इसके लिए साधक विधिपूर्वक हनुमान जी की पूजा उपासना कर प्रसन्न करते हैं।

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    Shri Ram Mantra: हनुमान जी को करना चाहते हैं प्रसन्न, तो इन खास मंत्रों का करें जाप

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Shri Ram Mantra: मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित होता है। इस दिन हनुमान जी की पूजा उपासना की जाती है। साधक मंगलवार के दिन हनुमान जी के निमित्त व्रत उपवास भी रखते हैं। बल, बुद्धि और विद्या के दाता हनुमान जी की कृपा से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। ज्योतिषियों की मानें तो मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा उपासना करने से साढ़ेसाती और शनि की ढैया का प्रभाव क्षीण हो जाता है। इसके लिए साधक विधिपूर्वक हनुमान जी की पूजा उपासना कर प्रसन्न करते हैं। अगर आप भी हनुमान जी को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो मंगलवार के दिन पूजा के समय इन मंत्रों का जाप करें। साथ ही राम स्तुति का भी पाठ करें। कहते हैं कि महज राम नाम के सुमिरन से हनुमान जी प्रसन्न हो जाते हैं। आइए जानते हैं-

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    1.

    मनोजवं मारुततुल्यवेगं, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।

    वातात्मजं वानरयूथमुख्यं, श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥

    2.

    ''अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।

    सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥''

    3.

    ॐ आपदामप हर्तारम दातारं सर्व सम्पदाम,

    लोकाभिरामं श्री रामं भूयो भूयो नामाम्यहम !

    श्री रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे

    रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नमः !

    4.

    हे रामा पुरुषोत्तमा नरहरे नारायणा केशवा।

    गोविन्दा गरुड़ध्वजा गुणनिधे दामोदरा माधवा॥

    हे कृष्ण कमलापते यदुपते सीतापते श्रीपते।

    बैकुण्ठाधिपते चराचरपते लक्ष्मीपते पाहिमाम्॥

    5.

    नाम पाहरु दिवस निसि ध्यान तुम्हार कपाट।

    लोचन निजपद जंत्रित जाहि प्राण केहि बाट।।

    श्रीराम स्तुति:

    श्रीरामचंद्र कृपालु भजमन हरण भव भयदारुणं।

    नवकंज-लोचन, कंज-मुख, कर-कंज पद कन्जारुणं।।

    कंदर्प अगणित अमित छबि, नवनील-नीरज सुन्दरं।

    पट पीत मानहु तड़ित रूचि शुचि नौमि जनक सुतावरं।।

    भजु दीनबंधु दिनेश दानव-दैत्यवंश-निकंदनं।

    रघुनंद आनंदकंद कोशलचंद दशरथ-नन्दनं।।

    सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।

    आजानुभुज शर-चाप-धर, संग्राम-जित-खरधूषणं।।

    इति वदति तुलसीदास शंकर-शेष-मुनि-मन-रंजनं।

    मम ह्रदय-कंज निवास कुरु, कामादी खल-दल-गंजनं।।

    मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सांवरो।

    करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो।।

    एहि भांती गौरि असीस सुनी सिय सहित हियं हरषीं अली।

    तुलसी भवानिही पूजि पुनी पुनी मुदित मन मंदिर चली।।

    ।।सोरठा।।

    जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।

    मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे।।

    ।।सियावर रामचंद्र की जय।।

    डिसक्लेमर-'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '