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    Ganesh Mantra: गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए करें इन मंत्रों का जाप, आर्थिक तंगी होगी दूर

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Thu, 21 Sep 2023 07:00 AM (IST)

    Ganesh Mantra रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश की पूजा करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं। उनकी कृपा से सुख सौभाग्य आय आयु धन और ऐश्वर्य में अपार वृद्धि होती है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। अतः भगवान गणेश की उपासना करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं।

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    Ganesh Mantra: गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए करें इन मंत्रों का जाप, आर्थिक तंगी होगी दूर

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क । Ganesh Mantra: सनातन धर्म में गणेश चतुर्थी का विशेष महत्व है। इस अवसर पर प्रथम पूज्य भगवान गणेश की विशेष पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत-उपवास भी रखा जाता है। वहीं, गणेश उत्सव के पांचवें दिन माता पार्वती की भी पूजा की जाती है। रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश की पूजा करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं। उनकी कृपा से सुख, सौभाग्य, आय, आयु, धन और ऐश्वर्य में अपार वृद्धि होती है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। अतः भगवान गणेश की उपासना करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साधक श्रद्धा भाव से भगवान गणेश की पूजा करते हैं। इसके लिए साधक गणपति बप्पा को दूर्वा और मोदक अर्पित करते हैं। भगवान गणेश को दूर्वा और मोदक अति प्रिय है।

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    अगर आप भी गणपति बप्पा को प्रसन्न करना चाहते हैं या विशेष कार्य में सिद्धि प्राप्त करना चाहते हैं, तो गणेश जी की पूजा करते समय इन शक्तिशाली मंत्रों का जाप अवश्य करें। इन मंत्रों के जाप से सभी बिगड़े काम बनने लगते हैं। साथ ही घर में सुख, समृद्धि, शांति और खुशहाली आती है। आइए, मंत्र जाप करते हैं-

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    भगवान गणेश के मंत्र

    1.

    'गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।

    नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक :।।

    धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।

    गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।

    2.

    ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।

    3.

    ॐ हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा।

    4.

    ॐ गं क्षिप्रप्रसादनाय नम।

    5.

    ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गण्पत्ये वर वरदे नमः

    ॐ तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात ।।

    6.

    ॐ वक्रतुण्डेक द्रष्टाय क्लींहीं श्रीं गं गणपतये

    वर वरद सर्वजनं मं दशमानय स्वाहा ।।

    7.

    विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लंबोदराय सकलाय जगद्धितायं।

    नागाननाथ श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते।।

    8.

    अमेयाय च हेरंब परशुधारकाय ते।

    मूषक वाहनायैव विश्वेशाय नमो नमः।।

    9.

    एकदंताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नमः।

    प्रपन्न जनपालाय प्रणतार्ति विनाशिने।।

    10.

    एकदंताय विद्‍महे, वक्रतुंडाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात।।

    11.

    ॐ नमो सिद्धि विनायकाय सर्व कार्य कर्त्रेय

    सर्व विघ्न प्रशमनाय सर्वाजाय वश्यकर्णाय

    सर्वजन सर्वस्त्री पुरुष आकर्षणाय श्रीं ॐ स्वाहा..!!

    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।