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    Ganesh Mantra: दुख और संताप से पाना चाहते हैं निजात, तो बुधवार के दिन जरूर करें इन मंत्रों का जाप

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Tue, 19 Sep 2023 01:48 PM (IST)

    Ganesh Mantra सनातन धर्म में बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। अतः साधक विधि-विधान से देवों के देव महादेव के पुत्र भगवान गणेश की पूजा करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि भगवान गणेश की पूजा-उपासना करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही आय और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है।

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    Ganesh Mantra: दुख और संताप से पाना चाहते हैं निजात, तो बुधवार के दिन जरूर करें इन मंत्रों का जाप

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Ganesh Mantra: गणेश चतुर्थी देशभर में धूमधाम से मनाई जा रही है। यह पर्व हर वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक गणपति बप्पा की पूजा और सेवा की जाती है। सनातन धर्म में बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। अतः गणेश महोत्सव के दूसरे दिन विधि-विधान से बप्पा की पूजा करें। धार्मिक मान्यता है कि भगवान गणेश की पूजा-उपासना करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही आय और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। अगर आप भी गणपति बप्पा का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो बुधवार के दिन पूजा के समय इन मंत्रों का जाप अवश्य करें।

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    गणेश जी के मंत्र

    1.

    एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

    ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

    ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

    2.

    गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।

    द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥

    विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।

    द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌ ॥

    विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत्‌ क्वचित्‌ ।

    3.

    ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।

    4.

    दन्ताभये चक्रवरौ दधानं, कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

    धृताब्जयालिङ्गितमाब्धि पुत्र्या-लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे॥

    5.

    गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्॥

    6.

    श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा ॥

    7.

    ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरु गणेश।

    ग्लौम गणपति, ऋद्धि पति, सिद्धि पति. करो दूर क्लेश ।।

    8.

    ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गण्पत्ये वर वरदे नमः

    9.

    ॐ तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात”

    10.

    त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय।

    नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।

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    गणेश मंगलाष्टक

    गजाननाय गांगेय सहजाय सर्दात्मने।

    गौरी प्रियतनूजाय गणेषयास्तु मंगलम ।।

    नागयज्ञोपवीताय नतविध्न विनाशिने।

    नन्द्यादिगणनाथाय नायाकायास्तु मंगलम ।।

    इभवक्त्राय चंद्रादिवन्दिताय चिदात्मने!

    ईशान प्रेमपात्राय चेष्टादायास्तु मंगलम ।।

    सुमुखाय सुशुन्डाग्रोक्षिप्तामृत घटाय च।

    सुखरींदनिवे व्यय सुखदायास्तु मंगलम ।।

    चतुर्भुजाय चन्द्राय विलसन्मस्तकाय च।

    चरणावनतानन्ततारणायास्तु मंगलम ।।

    वक्रतुण्डाय वटवे वन्धाय वरदाय च।

    विरूपाक्षसुतायास्तु विघ्ननाशाय मंगलम ।।

    प्रमोदामोदरूपाय सिद्धिविज्ञानरुपिणे !

    प्रकृष्टपापनाशाय फलदायास्तु मंगलम ।।

    मंगलं गणनाथाय मंगलं हरसूनवे।

    मंगलं विघ्नराजाय विघ्न हत्रेंस्तु मंगलम ।।

    श्लोकाष्टकमि पुण्यं मंगलप्रदमादरात।

    पठितव्यं प्रयत्नेन सर्वविघ्ननिवृत्तये।।

    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।