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    Nirjala Ekadashi 2024: निर्जला एकादशी पर पूजा के समय करें इन मंत्रों का जप, दूर होंगे सभी कष्ट

    धार्मिक मत है कि ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी निर्जला एकादशी के दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही साधक द्वारा जन्म जन्मांतर में किए गए पापों से भी मुक्ति मिलती है। अतः साधक एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा करते हैं।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 16 Jun 2024 11:54 AM (IST)
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    Nirjala Ekadashi 2024: निर्जला एकादशी का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Nirjala Ekadashi 2024: हर वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता है। इसके अगले दिन यानी ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी मनाई जाती है। यह पर्व भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही उनके नाम से एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस वर्ष 18 जून को निर्जला एकादशी है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। साथ ही जन्म जन्मांतर में किए गए सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। अतः साधक श्रद्धा भाव से एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। अगर आप भी जगत के नाथ भगवान विष्णु की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो एकादशी तिथि पर विधि पूर्वक भगवान विष्णु की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का जप अवश्य करें। आइए जानते हैं-

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    भगवान विष्णु के मंत्र 

    1. ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥

    2. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

    3. ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान।

    यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।

    4. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्

    विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।

    5. लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्

    वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥

    6. मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।

    मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

    7. दन्ताभये चक्र दरो दधानं,

    कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

    धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया

    लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

    8. ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर, भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।

    ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्, आ नो भजस्व राधसि।

    9. कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ।

    प्रणत क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः।

    10. ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:

    अमृतकलश हस्ताय सर्वभय विनाशाय सर्वरोगनिवारणाय

    त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप

    श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥

    ॐ नमो भगवते धन्वन्तरये अमृत कलश हस्ताय सर्व आमय

    विनाशनाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णवे नमः ||

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।