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Shardiya Navratri के दौरान रोजाना पूजा के समय करें इन मंत्रों का जप, आर्थिक संकटों से मिलेगी निजात

धार्मिक मत है कि मां दुर्गा (Shardiya Navratri 2024) अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाती हैं। उनकी कृपा से साधक के सभी दुख दूर हो जाते हैं। साथ ही घर में सुख समृद्धि एवं खुशहाली आती है। मां के दर से कोई भी साधक खाली हाथ नहीं लौटता है। इसके लिए साधक अपनी मनोकामना पूर्ति हेतु भक्ति भाव से मां की पूजा करते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 01 Oct 2024 06:29 PM (IST)
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Maa Durga: मां दुर्गा को कैसे प्रसन्न करें ?

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, 03 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो रही है। नौ दिनों तक चलने वाला यह पर्व जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा को समर्पित है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त नवरात्र का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। अगर आप भी जगत की देवी मां दुर्गा की कृपा पाना चाहते हैं, तो शारदीय नवरात्र के दौरान भक्ति भाव से मां दुर्गा की पूजा करें। वहीं, पूजा के समय इन मंत्रों का जप अवश्य करें।

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मां दुर्गा के मंत्र

1. या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

2. पठित्वा पाठयित्वा च नरो मुच्येत सङ्कटात् ॥

उमा देवी शिरः पातु ललाटं शूलधारिणी ।

चक्षुषी खेचरी पातु वदनं सर्वधारिणी ॥

जिह्वां च चण्डिका देवी ग्रीवां सौभद्रिका तथा ।

अशोकवासिनी चेतो द्वौ बाहू वज्रधारिणी ॥

हृदयं ललिता देवी उदरं सिंहवाहिनी ।

कटिं भगवती देवी द्वावूरू विन्ध्यवासिनी ॥

महाबाला च जङ्घे द्वे पादौ भूतलवासिनी

एवं स्थिताऽसि देवि त्वं त्रैलोक्यरक्षणात्मिके ।

रक्ष मां सर्वगात्रेषु दुर्गे दॆवि नमोऽस्तु ते ॥

3. हिनस्ति दैत्येजंसि स्वनेनापूर्य या जगत् ।

सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्यो नः सुतानिव ॥

4. रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभिष्टान् ।

त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्माश्रयतां प्रयान्ति ॥

5. शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे ।

सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमो स्तुते ॥

6. सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

7. “दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:

स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।

दारिद्र्यदु:खभयहारिणि का त्वदन्या

सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽ‌र्द्रचित्ता॥”

सृष्टि स्तिथि विनाशानां शक्तिभूते सनातनि ।

गुणाश्रेय गुणमये नारायणि नमो स्तुते ॥

8. 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै'

9. पिण्डज प्रवरा चण्डकोपास्त्रुता।

प्रसीदम तनुते महिं चंद्रघण्टातिरुता।।

पिंडज प्रवररुधा चन्दकपास्कर्युत ।

प्रसिदं तनुते महयम चंद्रघंतेति विश्रुत।

10. जयन्ती मड्गला काली भद्रकाली कपालिनी ।

दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमो स्तुते ॥

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।