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Navratri 2024 Date: कलश स्थापना के साथ 3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र आरंभ, अष्टमी व महानवमी का व्रत एक ही दिन

शारदीय नवरात्रि 2024 की शुरुआत 3 अक्टूबर से कलश स्थापना के साथ हो रही है। इस साल नवरात्रि 10 दिनों तक मनाई जाएगी। नवरात्रि के प्रथम दिन हस्त नक्षत्र ऐन्द्र योग व जयद योग में पूजन होगा। मां दुर्गा का आगमन इस बार पालकी पर और विदाई चरणायुध (मुर्गे) पर होगा। जानिए नवरात्रि का महत्व घट स्थापना का शुभ मुहूर्त और मां दुर्गा के नौ स्वरूपों के बारे में।

By prabhat ranjan Edited By: Rajat Mourya Updated: Thu, 26 Sep 2024 09:41 PM (IST)
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कलश स्थापना के साथ 3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र आरंभ

जागरण संवाददाता, पटना। नवरात्रि का पर्व मां दुर्गा के भक्तों के लिए बहुत खास होता है। नवरात्रि के नौ दिन मां भवानी के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा की जाती है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में शक्ति उपासना का महापर्व शारदीय नवरात्र तीन अक्टूबर गुरुवार को कलश स्थापना के साथ होगा। इस दिन से घरों से लेकर पूजा पंडालों में दुर्गा सप्तशती का पाठ आरंभ हो जाएगा।

भक्त नौ दिनों तक मां की आराधना में जुटे रहेंगे। नवरात्रि के प्रथम दिन हस्त नक्षत्र, ऐन्द्र योग व जयद योग में पूजन होगा। मां दुर्गा का आगमन इस बार पालकी पर और विदाई चरणायुध (मुर्गे) पर होगा। इसके कारण मानव जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

अष्टमी-नवमी होगा एक दिन:

शारदीय नवरात्र में चतुर्थी तिथि दो दिन छह व सात अक्टूबर को रहेगा। अष्टमी व महानवमी का व्रत एक ही दिन 11 अक्टूबर शुक्रवार को होगा। 12 अक्टूबर को विजयादशमी का पर्व मनेगा। नवरात्र के दौरान एक तिथि की वृद्धि व दो तिथि एक दिन होने से दुर्गापूजा 10 दिनों का होगा।

मां दुर्गा के नौ रूपों में शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदतामा, कात्यायनी, मां कालरात्रि, महागौरी व सिद्धिदात्री की पूजा होगी।

पंडित राकेश झा ने बताया कि कलश स्थापना का विशेष महत्व है। कलश में ब्रह्मा, विष्णु, रूद्र, नवग्रह, सभी नदियों, सागरों, सात द्वीपों समेत अन्य देवी-देवताओं का वास माना जाता है। नवरात्र के दौरान दुर्गा पाठ करने से सकारात्मकता का वास होता है।

विभिन्न रूपों की होगी पूजा:

  • तीन अक्टूबर : शैलपुत्री
  • चार अक्टूबर :ब्रह्मचारिणी
  • पांच अक्टूबर : चंद्रघंटा
  • छह अक्टूबर : कुष्मांडा
  • सात अक्टूबर : कुष्मांडा
  • आठ अक्टूबर : स्कंदमाता
  • नौ अक्टूबर : कात्यायनी
  • 10 अक्टूबर : कालरात्रि
  • 11 अक्टूबर : महागौरी व सिद्धिदात्री
  • 12 अक्टूबर : विजयादशमी

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