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    कालाष्टमी के दिन करें बटुक भैरव कवच का पाठ, मनचाही सिद्धियों की होती है प्राप्ति

    By Shilpa SrivastavaEdited By:
    Updated: Fri, 05 Mar 2021 09:30 AM (IST)

    Batuk Bhairav Kavach कालाष्टमी के दिन भगवान कालभैरव की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान कालभैरव की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ की जानी चाहिए। इससे भगवान प्रसन्न हो जाते हैं। पूजा करते समय व्यक्ति को मंत्रों का जाप करना चाहिए।

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    कालाष्टमी के दिन करें बटुक भैरव कवच का पाठ, मनचाही सिद्धियों की होती है प्राप्ति

    Batuk Bhairav Kavach: कालाष्टमी के दिन भगवान कालभैरव की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान कालभैरव की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ की जानी चाहिए। इससे भगवान प्रसन्न हो जाते हैं। पूजा करते समय व्यक्ति को मंत्रों का जाप करना चाहिए। साथ ही आरती भी करनी चाहिए। इसके अलावा काल भैरव की पूजा करते समय बटुक भैरव कवच का भी पाठ करना चाहिए। अगर ऐसा किया जाए तो व्यक्ति को मनचाही सिद्धियां प्राप्त होती हैं। आइए पढ़ते हैं बटुक भैरव कवच।

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    बटुक भैरव कवच:

    ॐ सहस्त्रारे महाचक्रे कर्पूरधवले गुरुः ।

    पातु मां बटुको देवो भैरवः सर्वकर्मसु ॥

    पूर्वस्यामसितांगो मां दिशि रक्षतु सर्वदा ।

    आग्नेयां च रुरुः पातु दक्षिणे चण्ड भैरवः ॥

    नैॠत्यां क्रोधनः पातु उन्मत्तः पातु पश्चिमे ।

    वायव्यां मां कपाली च नित्यं पायात् सुरेश्वरः ॥

    भीषणो भैरवः पातु उत्तरास्यां तु सर्वदा ।

    संहार भैरवः पायादीशान्यां च महेश्वरः ॥

    ऊर्ध्वं पातु विधाता च पाताले नन्दको विभुः ।

    सद्योजातस्तु मां पायात् सर्वतो देवसेवितः ॥

    रामदेवो वनान्ते च वने घोरस्तथावतु ।

    जले तत्पुरुषः पातु स्थले ईशान एव च ॥

    डाकिनी पुत्रकः पातु पुत्रान् में सर्वतः प्रभुः ।

    हाकिनी पुत्रकः पातु दारास्तु लाकिनी सुतः ॥

    पातु शाकिनिका पुत्रः सैन्यं वै कालभैरवः ।

    मालिनी पुत्रकः पातु पशूनश्वान् गंजास्तथा ॥

    महाकालोऽवतु क्षेत्रं श्रियं मे सर्वतो गिरा ।

    वाद्यम् वाद्यप्रियः पातु भैरवो नित्यसम्पदा ॥

    फाल्गुन कालाष्टमी का महत्व:

    कालाष्टमी के दिन रात के समय अगर जागरण किया जाए तो व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही व्रत के पुण्य में भी वृद्धि होती है। काल भैरव का वाहन कुत्ता है ऐसे में इस दिन कुत्तों को अगर खाना खिलाया जाए तो यह बेहद शुभ होता है। कहा जाता है कि ऐसा करने से भैरव जी प्रसन्न हो जाते हैं। भक्तों का ऐसा मानना है कि भैरव अष्टमी का व्रत करने से उनके पाप धुल जाएंगे और वे मृत्यु के भय से मुक्त हो जाएंगे। 

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'