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    Chaitra Navratri 2025: महाष्टमी पर जरूर करें देवी के इस स्तोत्र का पाठ, मिलेगी नवदुर्गा की कृपा

    Updated: Fri, 04 Apr 2025 06:58 PM (IST)

    05 अप्रैल को नवरात्र की महाष्टमी (Maha Ashtami 2025) का व्रत किया जाएगा। इस दिन पर साधक मां दुर्गा की कृपा प्राप्ति के लिए पूजा के दौरान सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। मान्यताओं के अनुसार नवरात्र पूजा में सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करते हैं तो इससे आपको देवी महागौरी के साथ-साथ नवदुर्गाओं का भी आशीर्वाद मिलता है।

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    Chaitra Navratri Maha Ashtami 2025 (Picture Credit: Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। नवरात्र (Chaitra Navratri 2025) की अष्टमी तिथि काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है, जिसे महाष्टमी भी जाता है। इस दिन पर देवी महागौरी की पूजा का विधान है। कुछ लोग नवरात्र की अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन कर अपने नवरात्र व्रत का पारण करते हैं।

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    ॥सिद्धकुञ्जिकास्तोत्रम्॥ (Siddh Kunjika Stotram)

    शिव उवाच

    शृणु देवि प्रवक्ष्यामि, कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम्।

    येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत॥१॥

    न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।

    न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्॥२॥

    कुञ्जिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।

    अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्॥३॥

    गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।

    मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।

    पाठमात्रेण संसिद्ध्येत् कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम्॥४॥

    ॥अथ मन्त्रः॥

    ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स:

    ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल

    ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।''

    नवरात्र की अष्टमी तिथि को अवधि को मां दुर्गा की कृपा प्राप्ति के लिए एक उत्तम दिन माना गया है। वहीं दिन पर विधिवत रूप से मां दुर्गा की पूजा-अर्चना और व्रत करने से साधक को माता रानी की विशेष कृपा मिलती है। साथ ही माता रानी अपने भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद भी प्रदान करती हैं।

    ॥इति मन्त्रः॥

    नमस्ते रूद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।

    नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि॥१॥

    नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिनि॥२॥

    जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरूष्व मे।

    ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका॥३॥

    क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।

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    चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी॥४॥

    विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि॥५॥

    धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।

    क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु॥६॥

    हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।

    भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः॥७॥

    अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं

    धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥

    पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा॥८॥

    सां सीं सूं सप्तशती देव्या मन्त्रसिद्धिं कुरुष्व मे॥

    इदं तु कुञ्जिकास्तोत्रं मन्त्रजागर्तिहेतवे।

    अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति॥

    यस्तु कुञ्जिकाया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत्।

    न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा॥

    इति श्रीरुद्रयामले गौरीतन्त्रे शिवपार्वतीसंवादे कुञ्जिकास्तोत्रं सम्पूर्णम्।

    ॥ॐ तत्सत्॥

    नवरात्र की पूजा के दौरान सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए। इस स्तोत्र को बेहद कल्याणकारी माना गया है। मान्यता है कि नवरात्र की पवित्र अवधि में सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से माता रानी अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाती हैं। 

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।