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Chaitra Navratri 2024 Day 9: मां सिद्धिदात्री की पूजा के समय करें इस चालीसा का पाठ, शत्रुओं का होगा नाश

मां के शरणागत रहने वाले साधकों को जीवन में सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। धर्म की स्थापना के लिए मां ने महादानव महिषासुर का वध किया। सनातन शास्त्रों में निहित है कि मां के भक्तों पर हमेशा महादेव की कृपा बनी रहती है। उनकी कृपा से भक्तों के सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। साथ ही आने वाली बलाएं या मुसीबतें भी टल जाती हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarPublished: Wed, 17 Apr 2024 07:00 AM (IST)Updated: Wed, 17 Apr 2024 07:00 AM (IST)
Chaitra Navratri 2024 Day 9: मां सिद्धिदात्री की पूजा के समय करें इस चालीसा का पाठ, शत्रुओं का होगा नाश
Chaitra Navratri 2024 Day 9: मां सिद्धिदात्री की पूजा के समय करें इस चालीसा का पाठ

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chaitra Navratri 2024 Day 9: जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की महिमा निराली हैं। अपने भक्तों की बिगड़ी बनाती हैं, तो असुरों का संहार करती हैं। मां के शरणागत रहने वाले साधकों को जीवन में सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। धर्म की स्थापना के लिए मां ने महादानव महिषासुर का वध किया। सनातन शास्त्रों में निहित है कि मां के भक्तों पर हमेशा महादेव की कृपा बनी रहती है। उनकी कृपा से भक्तों के सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। साथ ही आने वाली बलाएं या मुसीबतें भी टल जाती हैं। अगर आप भी मां दुर्गा की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो चैत्र नवरात्र के नौवें दिन स्नान-ध्यान के बाद विधि-विधान से मां की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय दुर्गा चालीसा का पाठ अवश्य करें। इस चालीसा के पाठ से जीवन में व्याप्त सभी दुख, संकट, रोग, शोक, संताप दूर हो जाते हैं। साथ ही शत्रुओं का भी नाश होता है।

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दुर्गा चालीसा

नमो नमो दुर्गे सुख करनी।

नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥

निरंकार है ज्योति तुम्हारी।

तिहूँ लोक फैली उजियारी॥

शशि ललाट मुख महाविशाला।

नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥

रूप मातु को अधिक सुहावे।

दरश करत जन अति सुख पावे॥

तुम संसार शक्ति लै कीना।

पालन हेतु अन्न धन दीना॥

अन्नपूर्णा हुई जग पाला।

तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥

प्रलयकाल सब नाशन हारी।

तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।

ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥

रूप सरस्वती को तुम धारा।

दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥

धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।

परगट भई फाड़कर खम्बा॥

रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।

हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।

श्री नारायण अंग समाहीं॥

क्षीरसिन्धु में करत विलासा।

दयासिन्धु दीजै मन आसा॥

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।

महिमा अमित न जात बखानी॥

मातंगी अरु धूमावति माता।

भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥

श्री भैरव तारा जग तारिणी।

छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥

केहरि वाहन सोह भवानी।

लांगुर वीर चलत अगवानी॥

कर में खप्पर खड्ग विराजै ।

जाको देख काल डर भाजै॥

सोहै अस्त्र और त्रिशूला।

जाते उठत शत्रु हिय शूला॥

नगरकोट में तुम्हीं विराजत।

तिहुँलोक में डंका बाजत॥

शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे।

रक्तबीज शंखन संहारे॥

महिषासुर नृप अति अभिमानी।

जेहि अघ भार मही अकुलानी॥

रूप कराल कालिका धारा।

सेन सहित तुम तिहि संहारा॥

परी गाढ़ सन्तन र जब जब।

भई सहाय मातु तुम तब तब॥

अमरपुरी अरु बासव लोका।

तब महिमा सब रहें अशोका॥

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।

तुम्हें सदा पूजें नरनारी॥

प्रेम भक्ति से जो यश गावें।

दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।

जन्ममरण ताकौ छुटि जाई॥

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।

योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥

शंकर आचारज तप कीनो।

काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।

काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥

शक्ति रूप का मरम न पायो।

शक्ति गई तब मन पछितायो॥

शरणागत हुई कीर्ति बखानी।

जय जय जय जगदम्ब भवानी॥

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।

दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥

मोको मातु कष्ट अति घेरो।

तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥

आशा तृष्णा निपट सतावें।

मोह मदादिक सब बिनशावें॥

शत्रु नाश कीजै महारानी।

सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥

करो कृपा हे मातु दयाला।

ऋद्धिसिद्धि दै करहु निहाला॥

जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ ।

तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ ॥

श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।

सब सुख भोग परमपद पावै॥

देवीदास शरण निज जानी।

कहु कृपा जगदम्ब भवानी॥

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डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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