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    Chaitra Navratri 2022: नवरात्रि के नौ दिन करें मां दुर्गा के इन अलग-अलग रूपों की पूजा, मिलेंगे शुभ फल

    By Priyanka SinghEdited By:
    Updated: Tue, 29 Mar 2022 05:47 PM (IST)

    Chaitra Navratri 2022 नवरात्रि का त्योहार हिंदू धर्म में बहुत ही खास होता है जब भक्तगण मां की विधिवत पूजा के साथ उन्हें प्रसन्न करने के लिए व्रत भी रखते हैं। तो नवरात्रि के नौ दिन मां के इन अलग-अलग रूपों की करें पूजा।

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    Chaitra Navratri 2022: नवरात्रि पूजन में करें मां दुर्गा की पूजा

    चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 2 अप्रैल से हो रही है। साल में दो बार नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है और ये दोनों ही नवरात्रि बहुत खास होती है। नौ दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। तो किस दिन मां के किस रूप का पूजन होता है शुभ, जानेंगे यहां।

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    शुभ मुहूर्त

    चैत्र नवरात्रि आरंभ- 2 अप्रैल

    नवरात्रि समाप्त- 10 अप्रैल

    प्रतिपदा तिथि प्रारंभ- 1 अप्रैल सुबह 11 बजकर 53 मिनट पर

    प्रतिपदा तिथि समाप्त- 2 अप्रैल सुबह 11 बजकर 58 मिनट पर

    घटस्थापना का शुभ मुहूर्त- 2 अप्रैल सुबह 6 बजकर 10 मिनट से 8 बजकर 31 मिनट तक

    नवरात्रि के 9 दिन होती है मां दुर्गा के इन रूपों की पूजा

    पहले दिन- मां शैलपुत्री

    नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री का पूजन किया जाता है। ये राजा हिमालय यानि शैल की पुत्री हैं। इसी कारण ये शैलपुत्री कहलाती हैं।

    दूसरे दिन- मां ब्रम्हाचारिणी

    मां ब्रह्मचारिणी अर्थात् तप का आचरण करने वाली। इन्होंने शिव जी को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था इसलिए ये ब्रह्मचारिणी कहलाई।

    तीसरे दिन- मां चंद्रघंटा

    मान्यता है कि मां चंद्रघंटा में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की शक्तियां समाहित हैं। इनके मस्तक पर अर्द्ध चंद्र सुशोभित है, इसी वजह से ये चंद्रघंटा कहलाती हैं।

    चौथे दिन- मां कुष्मांडा

    नवरात्रि के चौथे दिन कुष्मांडा माता की पूजा का विधान है। इनकी मंद हंसी से ही ब्रम्ह्मांड का निर्माण होने के कारण इनका नाम कुष्मांडा पड़ा।

    पांचवे दिन- मां स्कंदमाता

    नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता का पूजन किया जाता है। ये अपनी गोद में कुमार कार्तिकेय को लिए हुए हैं और कार्तिकेय का नाम स्कंद है, इसी कारण ये स्कंद माता कहलाती हैं।

    छठे दिन- मां कात्यायनी

    मां कात्यायनी ने कात्यायन ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर उनके घर पुत्री रूप में जन्म लिया था। इसी कारण इनका नाम कात्यायनी पड़ा।

    सातवें दिन- कालरात्रि माता

    नवरात्रि में सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। इनका स्वरूप देखने में प्रचंड है लेकिन ये अपने भक्तों को सदैव शुभ फल प्रदान करती हैं इसलिए इन्हें शुभड्करी भी कहा जाता है।

    आठवें दिन- महागौरी माता

    दुर्गा अष्टमी के दिन मां महागौरी का पूजन होता है। पौराणिक कथानुसार इन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी, जिसके कारण इनका शरीर काला पड़ गया था। शिव जी ने प्रसन्न होकर इन्हें गौरवर्ण प्रदान किया इसलिए ये महागौरी कहलाई।

    नौवें दिन- मां सिद्धिरात्रि

    अपने भक्तों को सर्व सिद्धियां प्रदान करने वाली देवी होने के कारण इन्हें सिद्धिरात्री भी कहा जाता है। 

    Pic credit- pexels