Chaitra Navratri 2020 Skandamata Puja Vidhi: आज है चैत्र नवरात्रि का पांचवा दिन, जानें स्कंदमाता की पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र एवं महत्व
Chaitra Navratri 2020 Skandamata Puja Vidhi आज चैत्र नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा करने से संतान प्राप्ति शत्रु विजय और मोक्ष प्राप्त होता है।
Chaitra Navratri 2020 Skandamata Puja Vidhi: चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानी चैत्र नवरात्रि के पांचवे दिन मां दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा विधि विधान से की जाती है। स्कंदमाता की पूजा करने से शत्रुओं और विकट परिस्थितियों पर विजय प्राप्त होता है, वहीं, नि:संतान दंपत्तियों को संतान सुख मिलता है। जो मोक्ष की कामना करते हैं, उनको देवी मोक्ष प्रदान करती हैं। आइए जानते हैं नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा विधि, मंत्र, पूजा मुहूर्त, महत्व आदि के बारे में।
स्कंदमाता पूजा मुहूर्त
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का प्रारंभ 28 मार्च दिन शनिवार की देर रात 12 बजकर 17 मिनट से हो रहा है, जो 30 मार्च दिन रविवार की देर रात 02 बजकर 01 मिनट तक है। स्कंदमाता की आराधना रविवार सुबह होगी।
प्रार्थना
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मंत्र
1. महाबले महोत्साहे। महाभय विनाशिनी।
त्राहिमाम स्कन्दमाते। शत्रुनाम भयवर्धिनि।।
2. ओम देवी स्कन्दमातायै नमः॥
स्कंदमाता बीज मंत्र
ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:।
कौन हैं स्कंदमाता
स्कंदमाता का अर्थ हुआ स्कंद की माता। भगवान कार्तिकेय का दूसरा नाम स्कंद है। माता पार्वती ने जब कार्तिकेय को जन्म दिया, तब से वह स्कंदमाता हो गईं। यह भी मान्यता है कि मां दुर्गा ने बाणासुर के वध के लिए अपने तेज से 6 मुख वाले सनतकुमार को जन्म दिया, जिनको स्कंद भी कहते हैं। सिंह पर सवार रहने वाली स्कंदमाता के गोद में सनतकुमार होते हैं। चार भुजाओं वाली स्कंदमाता अपनी दो भुजाओं में कमल का फूल रखती हैं। एक हाथ से सनतकुमार को पकड़ी हैं और एक हाथ अभय मुद्रा में होता है।
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स्कंदमाता की पूजा का महत्व
विधि विधान से पूजा कर स्कंदमाता को प्रसन्न करने से शत्रु आपको पराजित नहीं कर पाते हैं। संतान की चाह रखने वाले लोगों को संतान की प्राप्ति होती है। माता मोक्षदायिनी भी हैं। उनकी कृपा से व्यक्ति जीवन मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है।
पूजा विधि
नवरात्रि के पांचवे दिन स्नान आदि से निवृत हो जाएं और फिर स्कंदमाता का स्मरण करें। इसके पश्चात स्कंदमाता को अक्षत्, धूप, गंध, पुष्प अर्पित करें। उनको बताशा, पान, सुपारी, लौंग का जोड़ा, किसमिस, कमलगट्टा, कपूर, गूगल, इलायची आदि भी चढ़ाएं। फिर स्कंदमाता की आरती करें। स्कंदमाता की पूजा करने से भगवान कार्तिकेय भी प्रसन्न होते हैं।