Siddhidatri, Chaitra Navratri 2019: सभी सिद्धियों को देने वाली सिद्धिदात्री हैं मां का नवां रूप
Chaitra Navratri 2019 में पूजित मां दुर्गा का नवां स्वरूप सिद्धिदात्री के नाम से जाना जाता है जो अपने भक्तों को आठों प्रकार की सिद्धियां देने में सक्षम हैं।
इनकी वजह से शिव कहलाए अर्द्धनारीश्वर
मां दुर्गा की नवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व एवं वशित्व ये आठ सिद्धियां होती हैं। इन सभी को देने वाली सिद्धिदात्री माता मानी गई हैं। नवरात्र में नवमी के दिन इन्ही का अवाहन, ध्यान व उपासना की जाती है। देवी पुराण के अनुसार भगवान शंकर ने इन्हीं की उपासना करके सिद्धियां प्राप्त की थीं। जिसके प्रभाव से उनका आधा शरीर स्त्री का हो गया था। इसी कारण शिव जी अर्द्धनारीश्वर के नाम से प्रसिद्ध हुए।
सिंहवाहिनी, चतुर्भुजा, प्रसन्नवदना
सिद्धिदात्री की चार भुजाएं हैं, दाई ओर की दो भुजाओं मे गदा और चक्र और बाई ओर की दो भुजाओं में पद्म और शंख सुशोभित हैं। इनके सिर पर सोने का मुकुट और गले में सफेद फूलों की माला है। ये कमल पर आसीन हैं और केवल मानव ही नहीं बल्कि सिद्ध, गंधर्व, यक्ष, देवता और असुर सभी इनकी आराधना करते हैं। संसार में सभी वस्तुओं को सहज और सुलभता से प्राप्त करने के लिए नवरात्रि के नवें दिन इनकी पूजा की जाती है। कहते हैं कि सिद्धिदात्री की उपासना करने से भक्तों और साधकों की लौकिक, पारलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है। सहज प्रसन्न होने वाली मां सिद्धिदात्री नवदुर्गाओं में अंतिम हैं।
ये हैं पूजा मंत्र
नवरात्रि के अंतिम दिन इनकी आराधना में इन मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए, सिद्ध गन्धर्व यज्ञद्यैर सुरैर मरैरपि, सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धि दायिनी। और या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:। नवरात्र के अंतिम दिन देवी दुर्गा की नवीं शक्ति और भक्तों को सब प्रकार की सिद्धियां प्रदान करनेवाली मां सिद्धिदात्री की पूजा का विधान है। अन्य आठ दुर्गाओं की पूजा उपासना शास्त्रीय विधि-विधान के अनुसार करते हुए भक्त दुर्गा पूजा के नौवें दिन इनकी उपासना में करते हैं।
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