Bhagwat Geeta: भगवान श्री कृष्ण को क्यों देना पड़ा भगवत गीता उपदेश, जानिए कैसे पड़ा यह नाम
Bhagwat Geeta महाभारत के युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया जिसके बाद अर्जुन ने महाभारत के युद्ध में लड़ना शुरू किया। भगवत गीता में कही गई बातों को महत्व आज भी उसी प्रकार बना हुआ है जितना कि उस समय युद्ध की भूमि में था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि श्रीकृष्ण भगवान को भगवत गीता का उपदेश देने की आवश्यकता क्यो पड़ी।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Bhagwat Geeta: महाभारत की रणभूमि में अर्जुन को भगवान श्री कृष्ण द्वारा दिया गया ज्ञान सर्वश्रेष्ठ ज्ञान माना गया है। श्रीमद्भागवत गीता, श्रीकृष्ण द्वारा बताई गई बहुमूल्य बातों का एक संग्रह है। भारतीय परम्परा में गीता वही स्थान रखती है जो उपनिषद और धर्मसूत्रों का है। भगवान श्री कृष्ण के द्वारा दिए इस ज्ञान के कारण ही अर्जुन युद्ध के लिए तैयार हो सका।
गीता की उत्पत्ति क्यों हुई?
गीता की उत्पत्ति कौरव और पांडवों के युद्ध के समय कुरुक्षेत्र में मानी जाती है। भगवान श्री कृष्ण अर्जुन के रथ के सारथी बने थे। जब युद्ध भूमि में अर्जुन ने देखा कि विपक्ष में उन्हीं का परिवार खड़ा है जिसके कारण वह परिवार के मोह से घिर गए। तब अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण से कहा कि यह तो अधर्म है। मैं अपने ही परिवार के साथ राज्य के लिए कैसे लड़ सकता हूं।
अर्जुन ने कहा कि हे माधव! अपने ही परिवार के विरुद्ध मैं खड़ा नहीं हो सकता। तब श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को उपदेश देते हुए कहा कि हे पार्थ! तुम्हें अपने क्षत्रिय धर्म का पालन करना चाहिए और एक क्षत्रिय की भांति अपने अधिकारों के लिए लड़ना चाहिए। गीता के उपदेश द्वारा भगवान ने युद्ध भूमि में अर्जुन के टूटे हुए मनोबल को जोड़ने का भी काम किया। जिसके बाद अर्जुन युद्ध के लिए तैयार हो गए और धर्म की रक्षा के लिए उसने शस्त्र उठाए।
कैसे पड़ा गीता नाम
गीता शब्द का अर्थ है गीत और भगवद शब्द का अर्थ है भगवान। श्रीकृष्ण ने अपना उपदेश गायन के माध्यम से दिया था, इसलिए इसे गीता कहा जाता है। अक्सर भगवत गीता को भगवान का गीत कहा जाता है।
भगवत गीता पाठ के लाभ
आज भी कितने ही लोग भगवत गीता का अनुसरण करके जीवन में व्याप्त कठिनाइयों से पार पाते हैं। गीता का पाठ करने से ज्ञान के साथ-साथ मन की शांति भी प्राप्त होती है। गीता का पाठ रोजाना करने से जीवन की परेशानियों के हल मिल जाते हैं। यह भी मान्यता है कि गीता का पाठ करते समय हाथ में सूत्र यानी धागा बांधने से नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं।
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